Pahalgam Terror Attack Updates: पहलगाम हमले के विरोध में अखबारों का ‘ब्लैक आउट’, काले रंग में छापे पहले पन्ने, कश्मीर में पहली बार दिखी ये 4 बातें

Pahalgam Terror Attack Updates: पहलगाम हमले के विरोध में अखबारों का ‘ब्लैक आउट', काले रंग में छापे पहले पन्ने, कश्मीर में पहली बार दिखी ये 4 बातें

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  • Publish Date - April 23, 2025 / 04:27 PM IST,
    Updated On - April 23, 2025 / 04:27 PM IST

Pahalgam Terror Attack Updates | Photo Credit: IBC24 Customize

HIGHLIGHTS
  • पहलगाम आतंकी हमले में अब तक 28 लोगों की मौत, दर्जनों घायल
  • 35 साल में पहली बार आतंकी हमले के विरोध में कश्मीर घाटी बंद
  • प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने की स्थिति की समीक्षा

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर, जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, एक बार फिर आतंकवादियों के हमले से दहल उठा है। इस बार आतंकियों ने उन जगहों को निशाना बनाया है, जिनसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था चलती है। इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।

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घटना के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम का दौरा किया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में छोड़कर वापस लौट आए हैं और आज शाम 6 बजे सुरक्षा पर कैबिनेट बैठक बुलाई गई है, जिसमें स्थिति पर चर्चा की जाएगी।

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जम्मू-कश्मीर में पहलगाम पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल बन गया है। इस हमले के खिलाफ कश्मीर के कई इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। कश्मीर में 35 साल में पहली बार किसी आतंकी घटना के खिलाफ घाटी बंद का आह्वान किया गया है। इस बार सत्ताधारी और विपक्षी दल एकजुट होकर इस वारदात के विरोध में खड़े हुए हैं, जबकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसे अलगाववादी संगठन भी घाटी बंद का समर्थन कर रहे हैं।

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इस आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है। इस आतंकी वारदात के खिलाफ पहलगाम समेत कश्मीर के कई इलाकों में लोग प्रदर्शन पर उतर गए हैं। जम्मूकश्मीर में 35 साल में पहली बार किसी आतंकी वारदात के खिलाफ कश्मीर की अवाम ने घाटी बंद का आह्वान किया है। सत्ताधारी और विपक्षी, सभी दल इस वारदात के विरोध में एकजुट हो गए हैं तो वहीं हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसा संगठन भी घाटी बंद का आह्वान कर रहा है। पहलगाम अटैक पर कश्मीर का रिएक्शन इस बार अलग बताया जा रहा है और कुछ बातें पहली बार दिख रही हैं।

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1- आतंकी घटना के खिलाफ बंद

पहलगाम हमले के खिलाफ घाटी बंद के आह्वान को आम जनता के अलावा राजनीतिक दलों, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों और यहां तक कि अलगाववादी नेताओं ने भी समर्थन दिया है। सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस, विपक्षी पीडीपी, पीपुल्स पार्टी और अन्य राजनीतिक पार्टियां इस बंद के पक्ष में हैं। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और इसके प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने भी इस बंद को समर्थन दिया है।

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2- उलेमा संगठन और हुर्रियत भी बंद के साथ

धार्मिक संगठनों ने भी घाटी बंद का समर्थन किया। मुत्ताहिदा मजलिस उलेमा ने लोगों से अपील की है कि वे इस आतंकी हमले के खिलाफ अपने विरोध को शांतिपूर्वक तरीके से जाहिर करें। मीरवाइज उमर फारूक ने मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए शांति बनाए रखने की अपील की।

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3- पीड़ितों की मदद के लिए बढ़े हाथ

जम्मू-कश्मीर के लोग इस कठिन समय में एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए हैं। पहलगाम की घटना के बाद टूरिस्ट टैक्सी स्टैंड यूनियन ने रातभर अपनी सेवाएं जारी रखी। वे यात्रियों को गाड़ियों, पैसों, फोन और रुकने की जगह की सुविधा देने के लिए तत्पर थे। इसके अलावा, घायलों के इलाज के लिए खून की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी लोग मदद करने को तैयार थे।

 

4- समाचार पत्रों ने काले रंग में छापे पहले पन्ने

कश्मीर के प्रमुख समाचार पत्रों ने पहलगाम हमले के विरोध में काले रंग में अपना पहला पन्ना छापकर विरोध दर्ज किया। उन्होंने काले पन्नों पर लाल और सफेद रंग से शीर्षक लिखे, जिससे उनकी नाराजगी और घटना के प्रति गुस्से का इज़हार हुआ। ग्रेटर कश्मीर, राइजिंग कश्मीर, कश्मीर उजमा और अन्य प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों ने इस तरीके से अपना विरोध प्रकट किया।

पहलगाम आतंकी हमला कब और कहां हुआ?

पहलगाम आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट पहलगाम में हुआ। यह हमला हाल ही में हुआ है, और इसमें 28 लोगों की जान गई है।

पहलगाम आतंकी हमले में कितने लोग मारे गए और कितने घायल हुए?

इस आतंकी हमले में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक दर्जन से ज्यादा घायल हुए हैं।

क्या पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में कश्मीर बंद हुआ है?

35 साल में पहली बार घाटी बंद का आह्वान हुआ है, जिसे आम जनता से लेकर राजनीतिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों तक का समर्थन मिला है।