बंगाल में जनसांख्यिकीय बदलाव रोकने के लिए हिंदुओं के एकजुट होने का समय : भाजपा नेता

बंगाल में जनसांख्यिकीय बदलाव रोकने के लिए हिंदुओं के एकजुट होने का समय : भाजपा नेता

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  • Publish Date - December 7, 2025 / 09:03 PM IST,
    Updated On - December 7, 2025 / 09:03 PM IST

कोलकाता, सात दिसंबर (भाषा) कोलकाता में आयोजित गीता पाठ में बड़े पैमाने पर लोगों के शामिल होने से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं ने रविवार को कहा कि समय आ गया है कि हिंदू मतभेदों को भुलाकर राज्य में जनसांख्यिकीय बदलाव को रोकने के लिए एकजुट हों।

सनातन संस्कृति संसद द्वारा कोलकाता के बीचों-बीच स्थित ब्रिगेड ग्रांउड में आयोजित गीता पाठ में पूरे राज्य से आए लाखों लोगों के अलावा वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ-साथ साधु-संत भी शामिल हुए।

केंद्रीय शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखते हुए, हमें ऐसी स्थिति को रोकना होगा। यदि स्थिति को नहीं बदले और अपनी एकजुट शक्ति नहीं दिखाई तो हिंदू अपनी ही भूमि पर द्वितीय श्रेणी के नागरिक बन जाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल का निर्माण विभाजन के दौरान हिंदुओं को बचाने के लिए किया गया था। अन्यथा, बंगाली हिंदुओं को पूर्वी पाकिस्तान में रहना पड़ता। बंगाली हिंदुओं के हित में इस तरह के आयोजन आवश्यक हैं।’’

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि विभाजन में बंगाली हिंदुओं को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाई अत्याचारों के शिकार हैं। वहां मंदिरों और मठों में तोड़फोड़ की जा रही है। पश्चिम बंगाल में ऐसी ही स्थिति को रोकने के लिए, साधु-संतों ने हिंदुओं को जागृत करने की जिम्मेदारी ली है।’’

घोष ने कहा, ‘‘हमने राम मंदिर का निर्माण किया था और अब हम नियमित रूप से इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे।’’

पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य में हिंदुओं का एक भव्य समागम हुआ और वह इसका हिस्सा बनकर धन्य महसूस कर रहे हैं।

दावा किया गया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी गीता पाठ के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

इस बारे में पूछे जाने पर शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर कोई सच्चा हिंदू है, तो उसे ऐसे निमंत्रणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं, तो मुझे संदेह है कि वह वास्तव में हिंदू है या नहीं।’’

भाषा धीरज रंजन

रंजन