त्रिपुरा: भाजपा ने बांग्लादेश में टैगोर के पैतृक घर पर हमले के विरोध में रैलियां निकालीं

त्रिपुरा: भाजपा ने बांग्लादेश में टैगोर के पैतृक घर पर हमले के विरोध में रैलियां निकालीं

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  • Publish Date - June 14, 2025 / 10:08 PM IST,
    Updated On - June 14, 2025 / 10:08 PM IST

अगरतला, 14 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की त्रिपुरा इकाई ने शनिवार को नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के बांग्लादेश स्थित पैतृक घर पर हमले और तोड़फोड़ के विरोध में पूरे राज्य में विरोध रैलियां निकालीं।

पार्टी का झंडा थामे हजारों नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने राज्य के सभी दस संगठनात्मक जिलों में विरोध रैलियों में भाग लिया तथा ऐतिहासिक संरचना की रक्षा करने में विफल रहने के लिए पड़ोसी देश की अंतरिम सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

भाजपा की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष सुबल भौमिक और महासचिव भगवान दास ने बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में टैगोर के पैतृक घर पर हमले की निंदा करते हुए अगरतला एकीकृत भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के पास विरोध रैली का नेतृत्व किया।

दास ने संवाददाताओं से कहा, “हमने कट्टरपंथी समूहों द्वारा किए गए हमले की निंदा करते हुए पार्टी के सभी संगठनात्मक जिलों में रैलियां निकालीं। मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है और अल्पसंख्यकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।”

उन्होंने कहा, “टैगोर के पैतृक घर पर हमला बंगाली विरासत और हमारी पहचान पर हमला है। अगर इस तरह के हमले जारी रहे तो हम भविष्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।”

पार्टी के मीडिया प्रभारी सुनीत सरकार ने कहा कि यूनुस के शासन में ऐसा लगता है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथियों को खुली छूट है।

उन्होंने कहा, “टैगोर के पैतृक घर पर हमला इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि पड़ोसी देश में कट्टरपंथी किस तरह सक्रिय हो गए हैं। अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी।”

टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के सुप्रीमो प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने कहा, “हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि जो देश अपने राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान का सम्मान नहीं कर सका, वह नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को बर्दाश्त करेगा?” उन्होंने कहा, “कोमिला में महाराजा बीर बिक्रम माणिक्य के पुस्तकालय में कट्टरपंथी समूहों ने बेवजह तोड़फोड़ की। हम टैगोर के घर पर हमले की कड़ी निंदा करते हैं। वे भूल जाते हैं कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान टैगोर की रचना है। उन्हें टैगोर के प्रति थोड़ा सम्मान दिखाना चाहिए।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन