चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभा रहा है ट्रक ड्राइवर का बेटा सोहन, जानें गांव की गलियों से ISRO पहुंचने तक का सफर

Chandrayaan-3 mission : सोहन यादव रांची के तोरपा के तपकरा गांव के निवासी है वह ऑर्बिटर इंटीग्रेशन और टेस्टिंग टीम में शामिल हैं।

चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभा रहा है ट्रक ड्राइवर का बेटा सोहन, जानें गांव की गलियों से ISRO पहुंचने तक का सफर

Chandrayaan-3 mission

Modified Date: July 14, 2023 / 12:34 pm IST
Published Date: July 14, 2023 12:34 pm IST

नई दिल्ली : Chandrayaan-3 mission : पूरे देश की नजर आज इसरो के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर है। चंद्रयान-3 आज को दोपहर 2.35 बजे एलवीएम एम-3 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। वैसे तो चंद्रयान-3 मिशन में कई लोगों की मेहनत लगी है, लेकिन कुछ ऐसे नाम है जो किसी गाँव से निकलकर इसरो तक पहुंचे हैं। इन्ही में से एक है वैज्ञानिक सोहन यादव।

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छोटे से गांव का लड़का पहुंचा इसरो तक

Chandrayaan-3 mission : सोहन यादव रांची के तोरपा के तपकरा गांव के निवासी है वह ऑर्बिटर इंटीग्रेशन और टेस्टिंग टीम में शामिल हैं। सोहन मिशन गगनयान से भी जुड़े हैं। सोहन 15 दिन पहले फोन कर मां देवकी देवी व भाई गगन से इसपर बात की थी। चंद्रयान-3 को लेकर सोहन काफी उत्साहित था। मां को फोन पर कहा था कि अब 15 दिन बाद चंद्रयान-3 के परीक्षण के बाद बात हो पायेगी। सोहन के परिवार वाले मिशन चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर काफी उत्साहित हैं। पूरे गांव के लोग शुक्रवार का इंतजार कर रहे हैं।

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वैष्णो देवी के मंदिर गए हैं मां और भाई

Chandrayaan-3 mission : मां देवकी देवी व भाई गगन यादव चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण व बेटे की कामयाबी की कामना को लेकर मां वैष्णो देवी के मंदिर गए हैं। दोनों आज माता के दर्शन करेंगे।

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सोहन के पिता है ट्रक ड्राइवर

Chandrayaan-3 mission : सोहन के पिता घुरा यादव ट्रक ड्राइवर हैं। सोहन तपकरा जैसे छोटे से गांव में पढ़ाई कर वैज्ञानिक बना है। पिछले सात साल से वह इसरो से जुड़ा है। मां देवकी देवी बताती हैं कि सोहन बचपन से ही काफी होनहार था। उसने तपकरा स्थित शिशु मंदिर में प्राथमिक शिक्षा हासिल की। दसवीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल में ली। मैट्रिक के बाद प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई और हॉस्टल में रहने के कारण खर्च को लेकर काफी परेशानी हुई। पिता महीने में मुश्किल से 6-7 हजार रुपए कमा पाते थे। इसी में परिवार चलाना व पढ़ाई का खर्च उठाना पड़ रहा था। पर, पिता ने पढ़ाई में गरीबी को बाधा नहीं बनने दिया। बेटे को जवाहर नवोदय विद्यालय मेसरा, डीएवी बरियातू पढ़ाई कराई। इसके बाद इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी केरल से इंजीनियरिंग करने के बाद 2016 में सोहन इसरो से जुड़ गया।

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