दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए ‘स्क्रीन-रीडर सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल शुरू होगा: यूपीएससी

दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए ‘स्क्रीन-रीडर सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल शुरू होगा: यूपीएससी

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  • Publish Date - October 31, 2025 / 06:27 PM IST,
    Updated On - October 31, 2025 / 06:27 PM IST

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को सूचित किया गया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अपनी ओर से आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए ‘स्क्रीन-रीडर सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला लिया है।

यूपीएससी ने कहा कि सुरक्षित तरीके से परीक्षाएं आयोजित करने के लिए जैसे ही विभिन्न केंद्रों पर उचित बुनियादी ढांचे/सॉफ्टवेयर की उपलब्धता और परीक्षण संबंधी व्यवहार्यता सुनिश्चित हो जाएगी, वह दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों को परीक्षाओं में ‘स्क्रीन-रीडर सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल करने की सुविधा दे देगा।

आयोग ने यूपीएससी की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में दृष्टिहीन/कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को उचित अवसर न मिलने का मुद्दा उठाने वाली याचिका के संबंध में शीर्ष अदालत में दायर अपने अतिरिक्त हलफनामे में यह बात कही।

यूपीएससी की परीक्षा शाखा के संयुक्त सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, “मैं कहना चाहता हूं कि यूपीएससी ने मामले की गहन समीक्षा की है और उसने आयोग की ओर से आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए सैद्धांतिक रूप से ‘स्क्रीन-रीडर सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला किया है। हालांकि, फिलहाल इसके लिए उचित बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है।”

यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

शीर्ष अदालत ‘मिशन एसेसिबिलिटी’ नामक संगठन की ओर से अधिवक्ता संचिता ऐन के माध्यम से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पीठ को यूपीएससी के हलफनामे के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि यूपीएससी को यह काम समयबद्ध तरीके से करने का निर्देश दिया जा सकता है, ताकि अगली परीक्षा शुरू होने से पहले यह सुविधा उपलब्ध हो जाए।

ऐन ने कहा कि इस विषय पर परामर्श होना चाहिए, क्योंकि सुलभ प्रश्नपत्र, आरेख और प्रश्नपत्र की विषय-वस्तु क्षेत्रीय भाषाओं में होने पर कौन-सा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा, जैसे मुद्दों पर चर्चा की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “परामर्श करना या न करना उन पर निर्भर करता है। वे जानते हैं कि वे अपने प्रश्नपत्र कैसे तैयार कर रहे हैं और इसे ‘स्क्रीन-रीडर’ पर कैसे डाल सकते हैं।”

पीठ ने कहा कि अगर यूपीएससी परामर्श करना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है।

उसने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

पीठ ने यूपीएससी के वकील से पूछा कि इस काम के लिए कितना समय चाहिए होगा।

यूपीएससी के वकील ने कहा कि इस पर अगले साल के परीक्षा चक्र में विचार किए जाने की संभावना है।

पीठ ने यह भी पूछा कि इसे केवल विशेष परीक्षा केंद्रों तक ही कैसे सीमित रखा जा सकता है।

उसने कहा कि अगर दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए अन्य केंद्रों पर जाना पड़ेगा, तो यह अनुचित होगा।

भाषा पारुल माधव

माधव