उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खड़िया खनन के हानिकारक प्रभाव को लेकर एसईआईएए अध्यक्ष को तलब किया

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खड़िया खनन के हानिकारक प्रभाव को लेकर एसईआईएए अध्यक्ष को तलब किया

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  • Publish Date - June 28, 2025 / 03:32 PM IST,
    Updated On - June 28, 2025 / 03:32 PM IST

नैनीताल, 28 जून (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) के अध्यक्ष को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया और यह जानना चाहा है कि पर्यावरण की रक्षा और बागेश्वर जिले में खड़िया खनन के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए क्या कदम उठाये गए हैं।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया, जिसमें जिले के कांडा तहसील के कई गांवों में मकानों में दरारें आने की शिकायत की गई थी।

इस मामले की सुनवाई अब उच्च न्यायालय में 30 जून को होगी।

कांडा तहसील के निवासियों ने भी मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजकर दावा किया था कि अवैध खड़िया खनन ने उनके खेत, घर और पानी की पाइपलाइन को नष्ट कर दिया है।

क्षेत्र में खड़िया की 147 खदानें हैं, जिनमें खनन के लिए भारी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण आस-पास के गांवों में घरों की दीवारों और छतों पर दरारें पड़ जाती हैं।

पत्र पर स्वतः संज्ञान लेते हुए, उच्च न्यायालय ने पूर्व में इस क्षेत्र में खड़िया खनन पर रोक लगा दी थी और कंपनियों को खनन गतिविधियों के कारण बने गड्ढों को भरने का निर्देश दिया था। इसने खनन किये गए खड़िया भंडारों की नीलामी की भी अनुमति दी थी।

खनन के कारण बने गड्ढों को भरने के लिए पूर्व में दिये गए निर्देश पर जिला खनन अधिकारी ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस कार्य के लिए उत्तराखंड भूजल प्राधिकरण का गठन किया गया है।

हालांकि, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ऐसा कोई प्राधिकरण अभी तक गठित ही नहीं किया गया है।

इस पर, अदालत ने कहा कि गड्ढों को भरने का काम जिला खनन अधिकारी और सिंचाई सचिव द्वारा नामित भूजल विशेषज्ञ करेंगे। इस कार्य की निगरानी केंद्रीय भूजल बोर्ड और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की मौजूदगी में की जाएगी।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप