विहिप ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का संकल्प लिया

विहिप ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का संकल्प लिया

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 09:45 PM IST,
    Updated On - September 24, 2024 / 09:45 PM IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का मंगलवार को संकल्प लिया और कहा कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल्द एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी।

विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें मंदिरों को हिंदू समाज को नहीं सौंपती हैं, तो संगठन अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आज से हमारा संकल्प है कि देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर समाज को सौंप दिया जाएगा। इसके लिए पहले हर राज्य में प्रदर्शन और आंदोलन किए जाएंगे और संबंधित मुख्यमंत्रियों के माध्यम से राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपा जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिए जहां भी जरूरत होगी, कानूनी सहारा भी लिया जाएगा। जैन ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो भविष्य में आंदोलन भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा मंदिरों को अपने नियंत्रण में रखना संविधान का उल्लंघन है और अदालतें ‘‘बार-बार कह रही हैं कि मंदिरों को चलाना सरकारों का काम नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश का तिरुपति मंदिर ही एकमात्र ऐसा मंदिर नहीं है, जहां से प्रसादम बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की खबरें आई हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘इससे पहले केरल के सबरीमला मंदिर से भी शिकायत आई थी। वहां भी पायसम (पवित्र भोजन) में इसी तरह की अपवित्र चीजें मिलाई गई थीं।’’

उन्होंने कहा कि देश भर में राज्य सरकारों के नियंत्रण में मंदिरों की संपत्तियों के ‘‘वित्तीय अनियमितताओं और दुरुपयोग’’ की भी खबरें आई हैं। जैन ने कहा कि इन सभी मामलों में देखा गया है कि ये वे मंदिर हैं, जिन्हें संबंधित राज्य सरकारों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नौकरशाही और नेता दोनों ही लूट में लिप्त हैं और हिंदुओं की भावनाओं से खेल रहे हैं।’’ जैन ने कहा कि अकेले तमिलनाडु में 400 से अधिक मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि एक एनजीओ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया था कि ये 400 मंदिर प्रति वर्ष 6000 करोड़ रुपये का राजस्व पैदा करते हैं, लेकिन वे केवल 200 करोड़ रुपये की आय और 270 करोड़ रुपये का व्यय दिखाते हैं।

तिरुपति लड्डू विवाद पर विहिप पदाधिकारी ने मांग की कि मामले की न्यायिक जांच की जाए और प्रसाद को अपवित्र करने में शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाए।

जैन ने कहा कि मंदिरों पर राज्य सरकारों का नियंत्रण औपनिवेशिक मानसिकता और गुलामी का प्रतीक है। उन्होंने तर्क दिया, ‘‘जब अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं, तो हिंदू क्यों नहीं।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप