(नितिन रावत)
चमोली, 15 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले के कई गांवों के लोगों ने अपने यहां सड़कों की कमी के कारण चिकित्सा सुविधाएं मिलने में देरी को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
गनाई गांव के प्रदीप फर्शवाण ने कहा कि संसदीय चुनावों के बहिष्कार का यह फैसला गांव वालों ने पिछले साल दिसंबर में किया था।
फर्शवाण ने कहा, ”पिछले दो वर्षों में दो महिलाओं ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही बच्चों को जन्म दिया। जब तक हमारे गांव तक सड़क नहीं आती, हम वोट नहीं देंगे।’
उन्होंने बताया कि इस बारे में गांव वालों ने मुख्यमंत्री को 11 दिसंबर को एक पत्र लिखा था। फरवरी में गांव के प्रतिनिधियों ने महिलाओं के साथ मिलकर जिलाधिकारी को इस बारे में एक पत्र लिखा था।
फर्शवाण ने कहा कि कुछ अधिकारी 30 मार्च को क्षेत्र में आए और कहा कि वे 10 दिनों में एक रिपोर्ट सौंपेंगे, लेकिन यह रिपोर्ट अभी तक नहीं दी गयी है। उन्होंने कहा कि 2017 में आई एक रिपोर्ट में पांच किलोमीटर की सड़क बनाए जाने की बात कही गयी थी ।
उन्होंने कहा, ”ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक सड़क का काम शुरू नहीं होगा, वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे।”
उन्होंने कहा कि गांव में अगर कोई बीमार हो जाता है तो ग्रामीणों को उसे कंधे पर उठाकर एंबुलेंस के लिए पातालगंगा बाजार तक ले जाना पड़ता है। गनाई में 550 से अधिक मतदाता हैं।
एक अन्य ग्रामीण दीपक फर्शवाण ने कहा कि चुनाव अधिकारी वोटिंग मशीन लेकर गांव आए थे ताकि बुजुर्ग लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। उन्होंने बताया कि 85 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला ने यह कहते हुए वोट डालने से इनकार कर दिया कि उसने अपने जीवन में यहां कभी पक्की सड़क नहीं देखी है लेकिन वह नहीं चाहती कि आने वाली पीढ़ियों को भी यह अनुभव न मिले।
दीपक ने कहा कि सड़क के अभाव में ग्रामीणों को गांव तक भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं पाने के लिए अतिरिक्त धन भी खर्च करना पड़ता है ।
तपोवन क्षेत्र के भंगुल गारह गांव के जितेंद्र सिंह कन्याल ने कहा कि 2021 की बाढ़ में उन्होंने एक पुल खो दिया था।
उन्होंने कहा, ”अब तपोवन बाजार तक पहुंचने के लिए हमें लगभग तीन किलोमीटर चलना पड़ता है। क्षेत्र में सड़क बनाने के लिए 2011 और 2018 में अनुमति दी गई थी लेकिन कुछ हुआ नहीं।”
उन्होंने कहा, ”पिछले सप्ताह तहसीलदार दो बार हमसे मिलने आए, लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला और चुनाव बहिष्कार के अपने फैसले पर हम अभी भी कायम हैं।”
कपिरी क्षेत्र के कनखल मल्ला गांव के निवासियों ने भी चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया था, लेकिन स्थानीय विधायक के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया।
कनखल मल्ला के निवासी राजेंद्र खत्यारी ने कहा, ‘हमारे गांव तक कोई सड़क संपर्क नहीं है। हमें सार्वजनिक परिवहन लेने के लिए चार से पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। हमने मार्च में चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया था। हालांकि, अपने विधायक अनिल नौटियाल के आश्वासन के बाद हमने अब मतदान करने का फैसला किया है।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान होना है।
भाषा दीप्ति दीप्ति रवि कांत
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