Waqf Amendment Bill in Lok Sabha/ Image Credit: IBC24
नई दिल्लीः Waqf Amendment Bill in Lok Sabha: लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश हो गया है। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को सदन में पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम सबको बहुत डिटेल में जाने की कमेटी के बारे में कोई आवश्यकता नहीं है। इस बार कमेटी राज्यसभा और लोकसभा सांसदों को मिलाकर बनी है। आज तक संसदीय इतिहास में इतनी व्यापक चर्चा नहीं हुई और समय इतना कभी नहीं दिया गया। जो-जो सदस्य इस कमेटी में थे, उनको धन्यवाद देना चाहता हूं। 97 लाख 27 हजार के करीब याचिकाएं आईं। ये सुझाव, एप्लीकेशन और मेमोरेंडम के रूप में थीं। कभी भी इससे ज्यादा संख्या में किसी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं। 284 डेलीगेशन ने कमेटी के सामने अपनी बात रखी और सुझाव दिए। स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया है। इसमें से NDA को 4 घंटे 40 मिनट दिए गए हैं, बाकी वक्त विपक्ष को मिला है।
Waqf Amendment Bill in Lok Sabha: वक्फ संशोधन बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि,”दिल्ली में 1970 से चल रहा एक मामला CGO कॉम्प्लेक्स और संसद भवन समेत कई संपत्तियों से जुड़ा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन संपत्तियों को वक्फ संपत्ति बताया था। मामला कोर्ट में था, लेकिन उस समय UPA सरकार ने 123 संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। अगर हमने आज यह संशोधन पेश नहीं किया होता, तो हम जिस संसद भवन में बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। अगर पीएम मोदी सरकार सत्ता में नहीं आती, तो कई संपत्तियां गैर-अधिसूचित हो चुकी होतीं।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि, वक्फ संशोधन बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। सरकार किसी भी धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही है। किसी मस्जिद में मैनेजमेंट को हस्तक्षेप करने का कोई प्रावधान इस बिल में नहीं है।
किरेन रिजिजू ने कहा कि कई लीगल एक्सपर्ट, कम्युनिटी लीडर्स, धार्मिक लीडर्स और अन्य लोगों ने कमेटी के सामने अपने सुझाव रखे। पिछली बार जब हमने बिल पेश किया था, तब भी कई बातें बताई थीं। मुझे उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि जो इसका विरोध कर रहे हैं, उनके हृदय में बदलाव होगा और वे बिल का समर्थन करेंगे। मेरे मन की बात कहना चाहता हूं…. किसी के बात कोई बदगुमां न समझे कि जमीं का दर्द कभी आसमां न समझे। किसी ने कहा कि ये प्रावधान गैर संवैधानिक हैं। किसी ने कहा कि गैर-कानूनी है। यह नया विषय नहीं है। आजादी से पहले पहली बार बिल पास किया गया था। इससे पहले वक्फ को इनवैलिडेट (अवैध करार) किया था। 1923 में मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था। ट्रांसपेरेंसी और एकाउंटिबिलिटी का आधार देते हुए एक्ट पारित किया गया था।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार बना। उस समय स्टेट वक्फ बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था। उस वक्त से कई संशोधनों के बाद 1995 में वक्फ एक्ट बना। उस वक्त किसी ने नहीं कहा कि ये गैरसंवैधानिक है। आज जब हम उसी बिल को सुधारकर ला रहे हैं तो आप कह रहे हैं कि यह गैरसंवैधानिक है। आप सबकुछ छोड़कर जिसका लेना-देना नहीं है, उसका जिक्र कर आप लोगों को बरगला रहे हैं। अगर वक्फ का निर्णय किसी को स्वीकार नहीं तो ट्रिब्यूनल जा सकते हैं। 5 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी के लिए एक अफसर नियुक्त किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि 2014 में हम सब चुनाव में थे। उससे पहले 2013 में कुछ कदम उठाए गए। जिन्हें एक नागरिक और सदस्य के रूप में आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि ये कदम क्यों उठाया गया। पहला था कि कोई भले ही किसी धर्म का हो कि कोई भी वक्फ क्रिएट कर सकता है। शिया बोर्ड में शिया रहेंगे, सुन्नी में सुन्नी रहेंगे, ऐसा आपने प्रावधान किया था। एक प्रावधान आया था कि वक्फ बोर्ड का जो प्रावधान है, इस देश में कोई भी मौजूदा कानून है, यह (वक्फ) उसके ऊपर रहेगा। इस देश में ऐसा कानून कैसे मंजूर कर सकते हैं? 2013 में जो बिल पास हुआ, उस पर ताज्जुब हुआ। 1970 से दिल्ली में एक केस चल रहा था। दिल्ली की कई प्रॉपर्टी पर वक्फ ने दावा किया। इसमें पार्लियामेंट बिल्डिंग भी थी। 123 प्रॉपर्टी यूपीए सरकार ने वक्फ को दे दी थी। आज ये संशोधन नहीं लाते तो संसद की इमारत को भी क्लेम किया जा रहा था। यूपीए की सरकार जारी रहती तो क्या-क्या प्रॉपर्टी पर दावा किया गया था। सभी को डी-नोटिफाई कर दिया जाता।
रिजिजू ने कहा कि किसी भी तरीके से वक्फ बोर्ड वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज नहीं करता। सबको बोलने का मौका मिलेगा, आप लोग पहले शांति से बात तो सुन लीजिए। कुछ केस आपको बताना चाहता हूं। संविधान कहता है कि न तो सरकार किसी भी धार्मिक व्यवस्था में दखलंदाजी कर सकती है, न ही वक्फ किसी भी धार्मिक व्यवस्था में हाथ डाल सकता है। ये लोग संविधान को ही नहीं मानते। हम किसी भी मस्जिद के मैनेजमेंट में दखलंदाजी का प्रावधान नहीं कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड का प्रावधान किसी मस्जिद-मंदिर की धार्मिक व्यवस्था से लेना-देना नहीं है, सिर्फ प्रॉपर्टी के मैनेजमेंट का मसला है।
किरेन रिजिजू ने कहा कि 2013 में इलेक्शन में कुछ ही दिन बचे थे। 5 मार्च 2014 को 123 प्राइम प्रॉपर्टी को दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दीं। चुनाव में कुछ दिन चुनाव में बाकी थे, आप इंतजार करते। आपने सोचा कि वोट मिलेंगे, लेकिन आप चुनाव हार गए। आपने कहा था कि कोई भी भारतीय वक्फ क्रिएट कर सकता है। इस बात को हमने फिर से रिवाइव कर दिया है कि वक्फ वही क्लेम कर सकता है, जो कम से कम 5 साल इस्लाम धर्म को मानता है। वक्फ बोर्ड को सेक्युलर बनाना चाहते हैं। अब वक्फ में शिया भी रहेंगे, सुन्नी भी रहेंगे, बोहरा भी रहेंगे, मुस्लिम बैकवर्ड क्लास भी रहेगा, एक्सपर्ट नॉन मुस्लिम रहेंगे, महिलाएं भी रहेंगी। वक्फ बोर्ड के मेंबर 4 नॉन मुस्लिम हो सकते हैं, 2 महिलाएं होनी ही चाहिए।