Waqf law: खत्म होगा वक्फ कानून! सदन में चर्चा के लिए स्वीकार हुआ विधेयक, सपा-कांग्रेस समेत विपक्ष ने किया विरोध

Waqf law in rajyasabha: कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जैसे माकपा, भाकपा, एनसीपी, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और राजद के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए भाजपा पर ध्रुवीकरण तथा सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है।

Waqf law: खत्म होगा वक्फ कानून! सदन में चर्चा के लिए स्वीकार हुआ विधेयक, सपा-कांग्रेस समेत विपक्ष ने किया विरोध
Modified Date: December 9, 2023 / 06:44 pm IST
Published Date: December 9, 2023 6:44 pm IST

Waqf law: नई दिल्ली। शुक्रवार को वक्फ एक्ट 1995 को समाप्त करने के लिए बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने एक निजी विधेयक पेश किया था। जिसे वोटिंग के बाद चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया गया है। अगर यह विधेयक पास हो गया तो देश से वक्फ कानून खत्म हो जाएंगे। इस निजी बिल का समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं।

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बीते दिन हरनाथ सिंह यादव ने इस बिल को पेश करते हुए कहा थाा कि वक्फ एक्ट 1995 लोकतंत्र के प्रतिकूल है और यह देश की तमाम विधि व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। इसलिए देश हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जैसे माकपा, भाकपा, एनसीपी, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और राजद के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए भाजपा पर ध्रुवीकरण तथा सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है।

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कांग्रेस ने वोटिंग की मांग

बिल को पेश किए जाने के बाद कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस पर तत्काल वोटिंग की मांग की, लेकिन सभापति जगदीप धनखड़ नियमों का हवाला देकर बिल का विरोध करने वाले सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका दिया। इसके बाद बिल पर हुए मत विभाजन में परिणाम बिल के समर्थन में आया। इस बिल को स्वीकार करने के पक्ष में 53 और विरोध में 32 मत पड़े। इस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ और जयराम रमेश के बीच नोंकझोंक हुई। सभापति ने यहां तक कह दिया कि यह सदन मछली बाजार नहीं है। वह चाहें तो सदन के संचालन के लिए उनकी सीट ले सकते हैं।

विपक्ष ने किया विरोध

इसके पहले सभापति धनखड़ ने कहा कि आईयूएमएल सदस्य अब्दुल वहाब और माकपा के इलामारम करीम ने इस निजी विधेयक का विरोध करते हुए नोटिस दिया है। इलामारम करीम ने कहा ‘‘हमारी पार्टी के अन्य सदस्यों ने भी इसके विरोध में राय जाहिर की है। वक्फ संपत्ति हमारा अधिकार है और इसका अन्य समुदायों से कोई लेना-देना नहीं है’’ उन्होंने इसे आस्था से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे को छूना नहीं चाहिए।

उधर, इस मामले में पर यूपी से समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने आरोप लगाया कि सरकार अपना छद्म एजेंडा इस विधेयक के माध्यम से लागू करना चाहती है। द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने कहा कि इस विधेयक को अनुमति देना संविधान का उल्लंघन होगा।

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कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि अल्पसंख्यकों की भावनाएं आहत करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि अल्पसंख्यकों के मन में इस विधेयक से असुरक्षा की भावना बढ़ेगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने कहा कि ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करने वाली सरकार वास्तव में सबको साथ ले कर नहीं चलती। वहीं कांग्रेस की जेबी माथेर हीशम ने दावा किया कि सरकार जानबूझकर संवेदनशील मुद्दों को छेड़ती है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com