बेंगलुरु, 22 मई (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कथित सोना तस्करी गिरोह से संबंधित धन शोधन मामले की जांच के तहत उनसे जुड़े शैक्षणिक संस्थानों पर जारी छापेमारी के दौरान बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।
प्रवर्तन निदेशालय कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रहा है और उसने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत राज्य में 16 स्थानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी उन हवाला संचालक और अन्य ऑपरेटर को निशाना बनाकर की गई जिन्होंने सोना तस्करी की आरोपी और कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव के खातों में कथित तौर पर फर्जी वित्तीय लेनदेन किए थे।
परमेश्वर के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ‘सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ एवं ‘सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज’ सहित तीन संस्थानों और एक विश्वविद्यालय गए और उन्होंने पिछले पांच वर्षों के वित्तीय रिकॉर्ड मांगे।
मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को सहयोग करने और ईडी को सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो देश के कानून में विश्वास करता है, मैं उनके सत्यापन या छापेमारी से जो भी सामने आएगा, उसमें सहयोग करने के लिए तैयार हूं।’’
परमेश्वर के संस्थान के खाते से 40 लाख रुपए का उपयोग रान्या राव के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने के लिए किए जाने संबंधी आरोपों के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह जांच पूरी होने के बाद जवाब देंगे।
उन्होंने इन अटकलों पर भी टिप्पणी करने से परहेज किया कि उन्हें उनकी दलित पृष्ठभूमि के कारण निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि आवश्यक हुआ तो वे इस पर बात करेंगे।
राव को दुबई से आने के बाद तीन मार्च को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) अधिकारियों ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हिरासत में लिया और 14.2 किलोग्राम वजनी सोने की छड़ें जब्त कीं जिनकी कीमत 12.56 करोड़ रुपये से अधिक थी।
बेंगलुरु में आर्थिक अपराध मामलों की एक विशेष स्थानीय अदालत ने रान्या राव और सह-आरोपी तरुण कोंडुरु राजू को मंगलवार को जमानत दे दी थी।
अदालत ने निर्धारित अवधि के भीतर राजस्व आसूचना निदेशालय द्वारा आरोप-पत्र दाखिल करने में विफल रहने के मद्देनजर दोनों आरोपियों की वैधानिक (डिफॉल्ट) जमानत देने की अर्जी मंजूर कर ली।
तस्करी मामले में जमानत मिलने के बावजूद रान्या राव को कारागार में ही रहना होगा क्योंकि प्राधिकारियों ने उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा संरक्षण एवं तस्करी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, 1974 के तहत एक अलग मामला दर्ज किया है।
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