Onam Sadhya 2023: ओणम साध्या पर परोसे जाते हैं 20 से ज्यादा पकवान, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें…

Decorate the Onam plate with more than 20 dishes ओणम केरल के सबसे खास फेस्टिवल्स में से एक है, जिस दौरान यहां एक अलग ही नजारा देखने को मिलता

  •  
  • Publish Date - August 31, 2023 / 10:43 AM IST,
    Updated On - August 31, 2023 / 10:44 AM IST

Decorate the Onam plate with more than 20 dishes : ओणम केरल के सबसे खास फेस्टिवल्स में से एक है, जिस दौरान यहां एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। ओणम का त्योहार एक या दो दिन नहीं, बल्कि पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। जो इस बार 20 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक मनाया जाएगा। फेस्टिवल्स पर घरों में पकवान बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है, जिसे यहां भी फॉलो किया जाता है, लेकिन ये थोड़ा अलग होता है।

Read more: MP Assembly Election 2023: भाजपा के इन विधायकों का टिकट कटना तय! जानिए प्रदेश की किस सीट से किस नेता के नाम की हो रही चर्चा

जानें क्या है ओणम साध्या?

ओणम के अवसर पर केरल में दिल खोलकर खिलाया जाता है। ओणम साध्या होती है जिसमें 20 से भी ज्यादा पकवान परोसे जाते हैं। इनमें शामिल सभी व्यंजनों का स्वाद खास होता है। ओणम के दौरान बनने वाली डिशेज को केले के पत्तों पर परोसा जाता है। इसे साद्या थाली और ओणम साध्या भी कहते हैं। जिसमें लगभग 26 तरह के पकवान होते हैं। इन पकवानों में चटनी से लेकर अचार सब्जी व खीर भी शामिल होती है।

साध्या में सर्व किए जाते हैं सिर्फ शाकाहारी व्यंजन

ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली साद्या थाली में जितने भी पकवान शामिल किए जाते हैं, वो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं। ये जायके स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। वैराइटी के साथ इन डिशेज के नाम भी काफी अलग होते हैं। सांबर, उपेरी, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, और रसम साध्या में सर्व की जाने कुछ जरूरी डिशेज हैं। कुछ व्यंजन सब्जियों से तैयार किए जाते हैं। कुछ गुड़ से। हर एक जायका होता है खास।

ओणम का इतिहास और इसका महत्व

मलयाली कैलेंडर के अनुसार, ओणम अगस्त और सितंबर के बीच चिंगम महीने में आता है। यह मलयालम वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है जिसे कोल्ला वर्षम कहा जाता है। फसल उत्सव दयालु और उदार दानव राजा महाबली/मावेली की अपने प्रिय राज्य केरल में वापसी का प्रतीक है। किंवदंतियों के अनुसार, राजा महाबली ने देवताओं को हराया और तीनों लोकों पर शासन किया। वह एक उदार और बुद्धिमान नेता थे, लेकिन देवता उनकी लोकप्रियता को लेकर असुरक्षित थे। वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे उनकी मदद करने का अनुरोध किया। इसलिए, विष्णु ने अपना पांचवां अवतार लिया – ब्राह्मण बौना वामन।

Read more: Bank Holiday In September 2023: फटाफट निपटा लें ये जरूरी काम, सितंबर महीने में 16 दिन बंद रहेंगे बैंक, यहां देखें लिस्ट

Decorate the Onam plate with more than 20 dishes : ब्राह्मण वामन ने राजा महाबली से मुलाकात की। उदार राजा ने उसकी इच्छा पूरी की और उसे वैसा ही देने का वादा किया। वामन ने “भूमि के तीन टुकड़े” मांगे। फिर, वह आकार में बड़ा हो गया और अपने पहले और दूसरे कदम में आकाश और पाताल को ढक लिया। जब भगवान विष्णु के पांचवें अवतार अपना तीसरा कदम रखने वाले थे, तो राजा महाबली ने अपना सिर भगवान को अर्पित कर दिया। उनके बलिदान से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने राजा महाबली को कलयुग के अंत तक अपने राज्य पर शासन करने और ओणम के दौरान अपने राज्य और लोगों से मिलने का अधिकार दिया।

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक