RSS not hoist the 'tricolor' for 52 years? What is 'National Flag Code'?

आखिर क्यों RSS ने 52 सालों तक नहीं फहराया ‘तिरंगा’? क्या है ‘नेशनल फ्लैग कोड’? IBC Pedia में जानिए कैसा रहा राष्ट्रीय ध्वज का सफर

RSS not hoist the 'tricolor' for 52 years? 'National Flag Code'?: क्यों RSS ने 52 सालों तक नहीं फहराया 'तिरंगा'? क्या है 'नेशनल फ्लैग कोड'?...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : August 1, 2022/2:43 pm IST

IBC Pedia : नंदिनी सिंह। ‘तिरंगा’ भारत की आन-बान-शान है। हर भारतीय बड़े गर्व से अपने देश का झंडा फहराता है। भारत के तिरंगे के कई स्वरूप बदले हैं। इतिहास के पन्नों में तिरंगे को लेकर कई सवाल और तर्क दर्ज हैं। इसमें से एक सवाल ये भी है कि बीते 52 सालों से देश के सबसे बड़े संगठन (RSS) ने अपने मुख्यालय व अन्य दफ्तरों में तिरंगा क्यों नहीं फहराया? 1950 में ऐसा क्या हुआ होगा, जिसकी वजह से आरएसएस ने अब तक ‘तिरंगा’ नहीं फहराया? क्या था वो ‘नेशनल फ्लैग कोड’ जिसकी वजह से RSS के लिए तिरंगा फहराना अपराध की श्रेणी में आ गया। चलिए हम आपको इसका जवाब देते हैं।

आज़ादी के बाद संघ की शक्ति लगातार बढ़ रही थी और संघ ने राष्ट्रीय पर्व जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी जोर-शोर से मनाने शुरू कर दिए। जनता ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इतिहासविद इसे तत्कालीन सियासत का हिस्सा मानते हैं। वे कहते हैं संघ की लोकप्रियता को रोकने के लिए ही राष्ट्रीय तिरंगा नियम यानी नेशनल फ्लैग कोड लाया गया। National Flag Code को 1950 में लागू कर दिया गया। इस कोड के मुताबिक निजी स्थलों पर तिरंगा फहराना वर्जित हो गया। अब तिरंगा सिर्फ सरकारी इमारतों पर कुछ खास लोगों द्वारा ही फहराया जा सकता था। यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता तो उसे सश्रम कारावास का प्रावधान था।

इसका मतलब कानूनन अब तिरंगा संघ की शाखाओं में नही फहराया जा सकता था, क्योंकि यह प्राइवेट जगह थी। आज़ादी की लड़ाई में तो हर आम आदमी तिरंगा हाथ में ले कर सड़कों पर होता था। लेकिन आजाद भारत में ऐसा संभव नहीं था।

इसके बाद कांग्रेस के Member of Parliament नवीन जिंदल ने अपनी फैक्ट्री ‘जिंदल विजयनगर स्टील्स’ में तिरंगा फहराना शुरू किया तो हंगामा बरपने लगा। जांच पर जांच, रिपोर्ट पर रिपोर्ट और नतीजा रहा जिंदल को अपने ही देश में झंडा फहराने के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। 1994 से शुरू इस लड़ाई को 2002 में सफलता मिली। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल फ्लैग कोड में निजी क्षेत्रों में भी तिरंगा फहराने की स्वतंत्रता को जोड़ने के लिए कहा। इसके बाद से संघ के विभिन्न कार्यालयों में भी तिरंगा फहराया जाने लगा। तिरंगा को घर-घर फहराने का अधिकार दिलाने की मुहिम में 1994 में रायगढ़ के एसपी रह चुके पूर्व डीजीपी राजीव चंद्र श्रीवास्तव का भी अहम योगदान है। उन्होंने जिंदल फैक्ट्री में फहरा रहे तिरंगे की जांच में कहा था इसमें किसी प्रकार से नेशनल फ्लैग कोड का उल्लंघन नहीं किया जा रहा।

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यह है ‘National Flag Code’?

History of Indian Flag : इस वर्ष हम अपनी आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस मौके पर केंद्र सरकार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू कर रही है। इसके मद्देनजर सरकार ने देश की झंडा संहिता (National Flag Code) में बदलाव किया है। बता दें इस बदलाव के बाद अब तिरंगा दिन और रात दोनों समय फहराए जाने की अनुमति रहेगी। इसके अलावा अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को भी फहराया जा सकता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं क्या है नेशनल फ्लैग कोड? झंडा फहराते समय आपको इन मुख्य बातों का ध्यान रखना होगा।

1. झंडे का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए न किया जाए।

2. किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को नहीं झुकाया जाए।

3. झंडे का प्रयोग किसी वर्दी या पोशाक के रूप में न हो, झंडे को रुमाल, तकियों या किसी अन्य ड्रेस पर नहीं छापा जाए।

4. झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए न किया जाए।

5. किसी प्रकार का विज्ञापन/अधिसूचना/अभिलेख ध्वज पर नहीं लिखा जाए।

6. झंडे को वाहन, रेलगाड़ी, नाव, वायुयान की छत इत्यादि को ढंकने में इस्तेमाल नहीं किया जाए।

7. किसी दूसरे झंडे को भारतीय झंडे के बराबर ऊंचाई या उससे ऊपर नहीं फहराया जाए।

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ऐसा रहा भारत के ‘तिरंगे’ का सफर

पहला राष्ट्रीय ध्वज

सर्वप्रथम कलकत्ता स्थित पारसी बागान ( जिसे अब ‘ग्रीनपार्क’ के नाम से जाना जाता है) में 7 अगस्त 1906 को भारत का राष्ट्रीय झंडा फहराया गया था। इसमें तीन रंग की पट्टियां थीं। हरा, पीला और लाल। इस तिरंगे में हरी पट्टी पर आठ सफ़ेद रंग के अधखिले कमल के फूल अंकित थे। इसके साथ ही पीली पट्टी पर गहरे नीले रंग से ‘वन्दे मातरम्’ लिखा था। लाल पट्टी पर बाईं ओर सूर्य और दाईं ओर अर्द्ध चंद्र सफेद रंग में बना हुआ था।

दूसरा राष्ट्रीय ध्वज

दूसरा झंडा न केवल भारत की पुण्य धरती पर फहराया गया, बल्कि जर्मनी के स्टूटगार्ट शहर में मैडम कामा द्वारा 22 अगस्त 1907 को फहराया गया। इसमें हरी पट्टी पर 8 खिले हुए कमल बने थे। मध्य पट्टी का रंग पीला था तथा उस पर ‘वन्देमातरम्’ लिखा था। सबसे नीचे वाली पट्टी लाल रंग की थी जिस पर बाऐं ओर सूर्य तथा दाईं ओर चंद्रमा बना हुआ था।

तीसरा राष्ट्रीय ध्वज

भारत का तीसरा झंडा 1917 में आया और इसे डॉ. एनीबेसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन (Home Rule Movement) के दौरान फहराया था। इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियों के साथ एक और सप्‍तऋषि के सात तारे थे। वहीं बांई और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। साथ ही एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।

चौथा राष्ट्रीय ध्वज

History of Indian Flag : पांच वर्षों तक लगभग 30 देशों के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में गहराई से रिसर्च करने के बाद 1921 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सम्‍मेलन में पिंगाली वेंकैया ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में सबसे पहले अपनी संकल्‍पना को पेश की। इस ध्‍वज में दो रंग थे- लाल और हरा। ये क्रमश: हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्‍व करते थे। दूसरे धर्मों के लिए महात्‍मा गांधी ने इसमें सफेद पट्टी को शामिल करने की बात कही। इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया कि राष्‍ट्र की प्रगति के सूचक के रूप में चरखे को भी इसमें जगह मिलनी चाहिए।

पांचवा राष्ट्रीय ध्वज

अपने सफर को इसी प्रकार चालू रखते हुए 1931 के बाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज का स्वरुप बदल गया। 1931 में भारत का चौथा राष्ट्रीय ध्वज 10 सालों तक अस्तित्व में रहा। इसके बाद हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्र ध्वज मिला। चौथे राष्ट्र ध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्र ध्वज में भी चरखे का महत्वपूर्ण स्थान रहा। हालांकि इस बार झंडे के रंगों में परिवर्तन किया गया। चरखे के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा। इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया।

वर्तमान का राष्ट्रीय ध्वज

इसके बाद उसके अगले एक दशक के बाद 1931 में तिरंगे को कुछ संशोधनों के साथ राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने का प्रस्‍ताव पारित हुआ। इसमें मुख्‍य संशोधन के तहत लाल रंग की जगह केसरिया ने ले ली। हिंदू धर्म में केसरिया रंग को साहस, त्याग, बलिदान और वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। उसके बाद 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में इसे अंगीकार किया। बाद में इसमें कुछ मामूली संशोधनों के तहत रंग और उनके अनुपात को बरकरार रखते हुए चरखे की जगह केंद्र में सम्राट अशोक के धर्मचक्र को शामिल किया गया।

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‘हर-घर तिरंगा’ अभियान

History of Indian Flag : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोगों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर तिरंगा फहराकर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में शामिल होने की अपील की। सरकार ने भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान (प्रत्येक घर पर तिरंगा लगाने) की शुरुआत की है।

शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के मद्देनजर इस अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान के तहत देशभर में लगभग 20 करोड़ घरों पर तिरंगे फहराए जाएंगे, जो हर नागरिक विशेषकर युवाओं के मन में देशभक्ति की अखंड ज्योति को और अधिक प्रखर करने का काम करेगा।’’

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं सभी से अपील करता हूं कि 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर तिरंगा फहराकर इस अभियान से जुड़ें।’’ शाह ने कहा कि इससे हम अपनी युवा पीढ़ी में तिरंगे के प्रति सम्मान और जुड़ाव को और बढ़ा पाएंगे। साथ ही उन्हें आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीरों के त्याग से अवगत करा पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज न सिर्फ हर देशवासी को एकता के सूत्र में बांधता है, बल्कि हमारे अंदर राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव को और प्रबल भी करता है। गृह मंत्री ने कहा कि 22 जुलाई 1947 के दिन तिरंगे के वर्तमान स्वरूप को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने की घोषणा की गई थी।

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