सुकमा: Tendupatta bonus fraud वन मंडल में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में आदिवासियों के 7 करोड़ गबन करने के मामले में वन विभाग के डीएफओ अभी जेल में हैं। वहीं अब जिन प्रबंधकों की मिलीभगत से यह पूरा घोटाला अंजाम दिया गया था, उन पर वन विभाग ने कार्रवाई शुरू की है। चिन्हित तेंदूपत्ता समितियाें को भंग करने के साथ ही उनके प्रबंधकों को हटा दिया गया है।
तेंदूपत्ता बोनस वितरण में आदिवासियों के 7 करोड़ गबन करने के मामले की कार्रवाई में 11 समितियों के प्रबंधकों को निलंबित किया गया है। उनकी जगह नए प्रशासक तैनात किए गए हैं। इस बार वन विभाग स्वयं तेंदूपत्ता की खरीदी कर रहा है, जिससे गड़बड़ी को रोका जा सके। साथ ही नक्सली फंडिंग पर लगाम भी लगाई जा सके।
इस मामले में अब तक 56 लाख रुपए से अधिक की राशि प्रबंधकों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए सरकारी खाते में जमा की है। इसे हितग्राहियों को बांटने की तैयारी है, जितनी भी समितियों में गड़बड़ी की गई हैं, उनमें सभी अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रही थी। जांच पूरी होने के बाद इन प्रबंधकों के खिलाफ वन विभाग एफ आई आर करने की तैयारी कर रहा है। जिससे तेंदूपत्ता बोनस की राशि वसूल कर दोबारा वितरित की जा सके।
Tendupatta bonus fraud, बता दें कि बीते दिनों ACB और EOW ने तेंदूपत्ता बोनस गबन मामले में छापेमार कार्रवाई थी। सुकमा जिले में 12 स्थानों पर छापेमार कार्रवाई की गई थी। इस दौरान मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक अकाउंट एवं निवेश से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए हैं। साथ ही डीएफओ कार्यालय के कर्मचारी के निवास से नगद 26 लाख रुपये मिले थे।
आपराधिक षड़यंत्र कर वर्ष 2021- 2022 सीजन के तेंदुपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक के लिए प्रदान की जाने वाली राशि (करीब 7 करोड़) को संग्राहकों को वितरित नहीं किया। बल्कि सभी ने मिलकर उस राशि का गबन कर लिया। जिसके संबंध में आपराधिक न्यास भंग करने और उसमें से कुछ राशि निजी व्यक्तियों को दिये जाने के संबंध में अपराध दर्ज किया गया था।