Nationwide Strike on July 9: नौ जुलाई को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान, बैंक से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पड़ेगा असर

Nationwide strike announced on July 9: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी नौ जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान किया है। इसके समर्थन में मजदूर संगठनों, किसान संगठनों और महागठबंधन के घटक दल भी सामने आ रहे हैं।

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  • Publish Date - July 7, 2025 / 10:31 PM IST,
    Updated On - July 7, 2025 / 10:31 PM IST

Nationwide strike announced on July 9, file image

HIGHLIGHTS
  • हड़ताल में शामिल होगें 15 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी
  • आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ भी होगा हड़ताल में शामिल

कोलकाता: Nationwide strike announced on July 9, आगामी नौ जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान किया गया है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ यह आंदोलन होगा। इसका आयोजन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया है। इस हड़ताल में बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी के साथ ही आशा और आशा ​फैसिलिटेटर भी शामिल होने की बात कह चुके हैं।

ट्रेड यूनियनों की माने तो देशभर में मजदूरों के अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां भी सही नहीं है। इन्ही मुद्दों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी नौ जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान किया है। इसके समर्थन में मजदूर संगठनों, किसान संगठनों और महागठबंधन के घटक दल भी सामने आ रहे हैं। अब बैंक कर्मचारियों के एक संगठन ने भी कहा है कि वे इस हड़ताल में शामिल होंगे। यदि ऐसा हुआ तो आगामी बुधवार को आपको बैंकिंग सुविधाओं से वंचित रहना होगा।

बंगाल प्रोविंशियल बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (Bengal Provincial Bank Employees Association), जो AIBEA से जुड़ा है, ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि AIBEA, AIBOA और BEFI जैसे बैंकिंग सेक्टर के ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को आम हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि बीमा क्षेत्र ने भी हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है। संगठन के अनुसार, बैंकिंग और अन्य वित्तीय क्षेत्रों में हड़ताल पूरी तरह से सफल रहेगी।

हड़ताल में शामिल होगें 15 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी

Nationwide strike announced on July 9, बैंक कर्मचारियों के यूनियन की माने तो इस हड़ताल में 15 करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी भाग लेंगे। वे सरकार की “प्रो-कॉर्पोरेट आर्थिक सुधारों और एंटी-लेबर नीतियों” का विरोध करेंगे। इसका मतलब है कि कर्मचारी सरकार की उन नीतियों से नाराज़ हैं जो कंपनियों को फायदा पहुंचाती हैं और श्रमिकों के खिलाफ हैं। कर्मचारी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।

आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ भी होगा हड़ताल में शामिल

वहीं बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ ने भी हड़ताल में शामिल होकर प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों पर धरना प्रदर्शन आयोजित करेगा। राज्य के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के बुनियाद रूप में आशा एवं आशा फैसिलिटेटर द्वारा लगातार प्रयास किए जाने से संस्थागत प्रसव, जन्म-मृत्यु दर, मातृ-शिशु मृत्यु दर और टीकाकरण कार्य में प्रगति हुई है।

9 जुलाई को देश के 10 श्रम संगठन स्वतंत्र फेडरेशन सार्वजनिक प्रतिष्ठान, विभिन्न संगठित एवं असंगठित मजदूर सहित सभी स्कीम वर्कर एक दिवसीय राष्ट्रीयव्यापी हड़ताल में भाग लेंगे।

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सवाल: 9 जुलाई को हड़ताल क्यों हो रही है?

उत्तर: यह हड़ताल केंद्र सरकार की आर्थिक और श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार की प्रो-कॉर्पोरेट नीतियों के चलते मज़दूरों और कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला हो रहा है। इसलिए मजदूर संगठन, किसान संगठन और स्कीम वर्कर्स इसे लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सवाल: हड़ताल में कौन-कौन शामिल होगा?

उत्तर: इस हड़ताल में शामिल होने वाले प्रमुख वर्ग: बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी (AIBEA, AIBOA, BEFI जैसे यूनियन) आशा और आशा फैसिलिटेटर संघ किसान संगठनों और विभिन्न मजदूर संघों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और स्वतंत्र फेडरेशनों के कर्मचारी 10 से अधिक राष्ट्रीय श्रम संगठन कुल मिलाकर 15 करोड़ से अधिक कर्मचारी हड़ताल में भाग लेने की संभावना है।

सवाल: क्या 9 जुलाई को बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होंगी?

उत्तर: हाँ, कई बैंक यूनियन जैसे AIBEA, AIBOA और BEFI ने हड़ताल में भाग लेने की घोषणा की है। इससे 9 जुलाई (बुधवार) को बैंक शाखाएं बंद रह सकती हैं और बैंकिंग सेवाएं (जैसे कैश डिपॉजिट, चेक क्लीयरेंस, लोन संबंधी काम आदि) प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि ATM और डिजिटल सेवाएं सीमित रूप से चालू रह सकती हैं।

सवाल: क्या स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित होंगी?

उत्तर: आंशिक रूप से हाँ। आशा और आशा फैसिलिटेटर संघ ने हड़ताल का समर्थन किया है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर धरना प्रदर्शन की घोषणा की है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मातृ-शिशु सेवाएं, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव जैसे कार्य प्रभावित हो सकते हैं।