कई शहरों में गहराया जल संकट, 60 प्रतिशत सरकारी ऑफिस में मौजूद नहीं Water Harvesting System

60 प्रतिशत सरकारी ऑफिस में मौजूद नहीं Water Harvesting System! 60 Percent Govt Offices Have Not Water Harvesting System

  •  
  • Publish Date - April 11, 2022 / 11:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

This browser does not support the video element.

भोपाल: Water Harvesting System in Bhopal लगातार बढ़ते तापमान से भोपाल समेत कई शहरों में जल संकट बढ़ता जा रहा है। जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की दिशा में भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है। मध्यप्रदेश में वाटरस हार्वेस्टिंग सिस्टम की क्या स्थिति है।

Read More: अपनी मांगों को लेकर संविदा कर्मचारियों सहित छह संगठनों ने खोला मोर्चा, सरकार ने जारी किया दो दिन के भीतर वापस लौटने का अल्टीमेटम

Water Harvesting System मध्यप्रदेश में गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या भी बढ़ती ही जा रही है। MP के 23 जिले ऐसे हैं जिन्हें हर साल सूखा-प्रभावित सूची में रखा जाता है। इस समस्या के निजात पाने के लिए केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का खाका भी सरकार ने तैयार किया लेकिन अब तक परियोजना को मूर्त रूप देने में अभी भी वक्त है। लिहाजा पानी की इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दिशा में रूख किया लेकिन जिम्मेदारों ने इसे भी जमीनी खाका पहनाने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की।

Read More: कोर्ट ने खारिज की भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल की जमानत याचिका, महिला कार्यकर्ताओं ने लगाया था छेड़खानी का आरोप

प्रदेश की 60 फीसदी सरकारी इमारतें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से महरूम हैं, तो सरकारी दफ्तरों की नगरी राजधानी भोपाल में सालों बाद भी ये आंकड़ा 40 प्रतिशत का है। जबकि सभी सरकारी संस्थानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है। 140 वर्गमीटर से अधिक के प्लॉट साइज में बिल्डिंग परमिशन के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का प्रावधान है। इधर भूजल बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में हर साल हर जिले में औसतन 60 से 175 फीट तक भूमिगत जल कम होता जा रहा है।

Read More: हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम रमन सिंह को थमाया नोटिस, चुनाव के दौरान संपत्ति को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप

रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर अधिकारी हर बार की तरह इस बार भी पुख्ता तैयारी का दावा कर रहे हैं, तो विभाग ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। यह भी दावा किया जा रहा है कि जल्द से जल्द बची हुई सरकारी इमारतों में भी सिस्टम लगाया जाएगा।

Read More: नवरात्र के 9 दिन पूरे होने के बाद आदिवासी संस्कृति के तहत किया गया जवारा का विसर्जन, पूरी परंपरा का किया गया पालन

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से एक घंटे की तेज बारिश में 1 हजार वर्ग फीट पर 20 हजार लीटर पानी बचाया जा सकता है और अगर पूरे सीजन में औसत बारिश हो तो 1 हजार वर्ग फीट पर वाटर हार्वेस्टिंग से 7 से 8 लाख लीटर पानी सहेजा जा सकता है। जल संरक्षण के लिए वरदान कहे जाने वाले सालों पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की अनदेखी, जल संरक्षण के प्रति प्रशासन की संवेदनहीनता को बयां करती है।

Read More: किसानों की कर्जमाफी ने तोड़कर रख दी सहकारी सोसायटी की कमर, हुआ करोड़ों रुपए का नुकसान