भोपालः 10 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा लगा कि महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य होगा, जहां पंचायत और निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे। कांग्रेस ने इसे अपनी जीत के तौर पर लिया और अगले दिन ही अपने टिकट बंटवारे में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने का एलान कर दिया। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ये कहती रही है हमारी कोशिश यहीं होगी कि निकाय और पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों। सरकार ने मोडिफिकेशन ऑफ आर्डर दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने कंसीडर किया और आज ये फैसला आया कि पंचायत और निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होगें। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये ज़रुर कहा कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न होने पाये।
ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर तक जश्न का माहौल है। बीजेपी दफ्तरों में ढोल नगाड़े के साथ कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटी और पटाखे फोड़कर अपनी खुशी का इजहार किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी जश्न मनाती दिखी। दूसरी कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पहले अधिकार छीना गया और अब खुशी मनाई जा रही है। कांग्रेस इसे सरकार की नहीं बल्कि ओबीसी की जीत बताई।
कांग्रेस भले इसे बीजेपी की नहीं बल्कि OBC वर्ग की जीत बताए, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। हालांकि कोर्ट के फैसले पर ओबीसी महासभा खुश नहीं है। 52 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर महासभा ने 21 मई को प्रदेशव्यापी बंद बुलाया है।
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जाहिर है निकाय और पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा बेहद अहम है। 30 जून तक दोनों चुनाव होने हैं..सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी और कांग्रेस खुद को OBC वर्ग का सच्चा हितैषी बनने की होड़ लगी है। सबसे बड़ा सवाल है कि OBC आरक्षण पर सुप्रीम फैसला किसके हक में गया है?