सतपुड़ा भवन अग्निकांड: कैसे लगी आग? काबू पाने उठाए गए कदम और आग के साथ उठती सियासत की लपटें.. जाने पूरा घटनाक्रम

सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग के साथ ही प्रदेश की सियासत में तपिस महसूस की जाने लगी है। कांग्रेस ने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए आगजनी की इस घटना को सियासी रंग दे दी दिया है। हालाँकि बार-बार सतपुड़ा भवन का आग की चपेट में आना, कई गंभीर सवाल भी खड़े कर रहा है।

सतपुड़ा भवन अग्निकांड: कैसे लगी आग? काबू पाने उठाए गए कदम और आग के साथ उठती सियासत की लपटें.. जाने पूरा घटनाक्रम

MP's record was in Satpura Bhavan for 43 years

Modified Date: June 13, 2023 / 12:30 pm IST
Published Date: June 13, 2023 10:58 am IST

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित सतपुड़ा भवन में कल दोपहर भीषण आग लग गई। राजधानी में स्थित यह भवन सरकार के महत्वपूर्ण भवनों में से एक है यहाँ स्वास्थ्य विभाग समेत कई अहम विभाग के दफ्तर संचालित होते है। इस तरह यह पूरा भवन सरकारी दृष्टि से काफी अहम है, जाहिर है आगजनी से बचाव के साधनों से भी यह भवन सुसज्जित होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे वीआईपी भवन आग की चपेट में कैसे आ गया? शुरूआती जाँच में पता चला है कि एसी में हुए ब्लास्ट के बाद यह आग लगी। (Satpura Bhavan Agnikand June 2023) हालाँकि सरकार की तरफ से गठित इस पूरे मामले की विस्तार से जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। तो आइये बिंदुवार तरीक़े से नजर डालते है, आगजनी के इस पूरे घटनाक्रम और आग को रोकने के लिए किये गये प्रयासों पर, साथ ही इस आगजनी एक साथ हुई शुरू राजनीति और नेताओं की बयानबाजी पर भी..

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कब और कैसे लगी आग?

प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के मुताबिक़ 12 जून को दोपहर 3:30 बजे सतपुड़ा भवन की तीसरी मंजिल पर ट्रायबल की टीडीपी शाखा में आग लगने की घटना सामने आई। जहाँ आग लगी वहा बजट, हॉस्टल, प्रस्ताव की फाइल्स होती है।

दोपहर बाद यानी शाम करीब 5:20 बजे चौथी मंजिल भी देखते ही देखते आग की चपेट में आ गई। भवन के इस मंजिल में मुख्यमंत्री सहायता, जन शिकायत, परिवार कल्याण, मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग के दस्तावेज होते है।

आगजनी कि घटना के लगभग दो घंटे बाद करीब 6:50 बजे तक पांचवी मंजिल में भी आग पूरी तरह से फ़ैल गई। गनीमत से यह फ्लोर खाली था, यहाँ किसी तरह के सरकारी दस्तावेज नहीं थे, लेकिन रेनोवेशन के बाद यहाँ नए फर्नीचर लगा दिए गये थे जिसकी अनुमानित कीमत ही करीब 12 से 24 करोड़ के बीच थी। आग की जद में आकर ये सभी फर्नीचर जलकर ख़ाक हो गए। इस फ्लोर में आग के फैलने तक करीब दर्जन भर एसी के कम्प्रेसर में भी ब्लास्ट हो चुके थे जो लगातार आग को भड़काने का काम कर रहे थे।

आग लगने की घटना को लगभग छ घंटे बीत चुके थे। लेकिन इसी बीच रात 9 बजे छठवें माले से भी आग की लपटें उठनी शुरू हो गई। भवन के इस छठी मंजिल में स्वास्थ्य विभाग का रिकॉर्ड रूम था, सम्भावना जताई जा रही है कि यहाँ करीब 13-14 हज़ार महत्वपूर्ण फाइल्स होंगी। ये भी जलकर नष्ट हो गये। एक और अहम जानकारी यह भी मिली कि इमारत की इसी मंजिल पर डायरेक्टर एडमिन बैठते है।

कब शुरू हुई आग बुझाने की कवायद

इमारत में आग 3:30 बजे लगी। इसके ठीक आधे घंटे बाद यानी 4 बजे पहली दमकल की गाड़िया भी घटनास्थल पर पहुँच गई। दमकल कर्मियों ने बिना देर किये इमारत के प्रभावित फ्लोर तक पहुँचने की कोशिश शुरू की। रेस्क्यू शुरू होने के करीब दो घंटे बाद तक मौके पर 4-5 फायर गाड़ियां मौजूद थी। आग की भयावहता को देखते हुए यह नाकाफी साबित हुआ लिहाजा आसपास के सभी ज़िलों से 30 ज़्यादा गाड़ियों को मौके पर बुलाया गया।

आग भीषण रूप ले चुकी थी और दूसरी मंजिलो तक भी फ़ैल रही थी। (Satpura Bhavan Agnikand June 2023) आगजनी की गंभीरता को देखते हुए 7 बजे सेना से बात की गई। इसके थी एक घंटे बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बात की और उन्हें आग लगने की घटना के साथ पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की रिपोर्ट दी। आगजनी की घटना के छह घंटे बाद अब सेना की टुकड़ी भी घटनास्थल पर पहुँच गई और फिर युद्धस्तर पर आग बुझाने की कोशिशें शुरू हुई।

आग पर काबू पाने स्थानीय प्रशासन, पुलिस के जवान, दमलकल कर्मी, सीआईएसएफ और दूसरे फायर फाइटर्स मशीनों की मदद से आग पर काबू पाने में जुटे हुए थे लेकिन 11 बजे तक किसी तरह की राहत की खबर सामने नहीं आई। लगभग 12 बजे आग की लपटों में कमी देखी गई और फिर रात भर चले ऑपरेशन के बाद सुबह 6 बजे आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आग के प्रारंभिक कारणों का पता लगाने के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) गृह राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव (पीएस) शहरी नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव (पीएस) पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) सुखबीर सिंह और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) फायर शामिल हैं। जांच के प्रारंभिक कारणों का पता लगाने के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री चौहान को सौंपेगी।

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अग्निकांड से कितना नुकसान

बताया जा रहा है कि, छह मंजिला इमारत में लगी इस भीषण आग में चार मंजिलों का करीब 80 फीसदी हिस्सा जल चुका है। इस आग में करीब चारो मंजिल में रखें गए 12 हजार फाइलों के जलने की बात कही जा रही है।

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आगजनी के कारणों की पड़ताल

आग पर काबू पाएं जाने के बाद इसके शुरुआती वजहों को पता लगाने की कोशिश शुरू हुई। मालूम चला कि आगजनी की घटना को रोकने में इमारत के फायर सेफ्टी सिस्टम की कोई भूमिका नहीं थी। इतना ही नहीं बल्कि पिछले चार सालों से इमारत की फायर ऑडिट भी नहीं हुई थी।

आग लगने के बाद मौके पर फायर फाइटर्स अपने स्तर पर आग को बुझाने जुटे रहे। आग को बेकाबू होता देख हाईड्रॉलिक मशीन भी मंगाया गया लेकिन वह नहीं खुली और बेकार साबित हुई। इसके अलावा यह भी देखा गया कि आसपास के जिलों से दमकल वाहनों को मौके पर बुलाने में काफी देर की गई। इस तरह पूरी घटना को गंभीरता से नहीं लिया गया। आग बुझाने में न सतपुड़ा भवन के अधीक्षक का कोई रोल दिखा और न ही एडमिन का। (Satpura Bhavan Agnikang June 2023) बावजूद इसके की इस इमारत में तीन आईएएस अधिकारियों का दफ्तर है जहाँ वे खुद भी मौजूद रहते है।

इसके अलावा आग लगाने की मूल वजह यानि एसी के कम्प्रेसर में हुए धमाके को भी गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसके बाद करीब दर्जन भर एसी के कम्प्रेसर में धमाका हुआ और आग की लपटें भयावह होती गई।

आग के अलग-अलग फ्लोर तक फ़ैलने की एक बड़ी वजह वहां मौजूद लकड़िया थी। भवन के ज्यादातर हिस्सों में रेनोवेशन का काम जारी था, इस वजह से पांचवें मंजिल में बड़ी मात्रा में पुराने फर्नीचर की लकड़िया वहां रखी गई थी। इन्ही लकड़ियों में लगी आग ने विकराल रूप ले लिया।

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आग के बाद उठने लगी सियासी लपटें

अक्सर पर देखा गया है कि चुनाव के करीब आते ही सरकारी दफ्तरों में आग की घटनाएं आम हो जाती है। हैरानी कि बात ये है कि ठीक 11 साल पहले 25 जून 2012 को भी यहीं आग लगी थी। इस घटना से 5 साल पहले राज्य में स्वास्थ्य घोटाला आमने आया था। इस मामले में निदेशक पर कार्रवाई हुई थी। आगजनी कि इस घटना के ठीक एक साल बाद प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए थे।

सतपुड़ा भवन 4 दिसंबर 2018 को फिर से एक बार आग की चपेट में आया। तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार आने वाली है इसलिए इस अग्निकांड को अंजाम दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद जब नतीजे आये तो कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए।

अब 12 जून 2023 को फिर बड़ी आगजनी इस इमारत में हुई, इस बार भी इमारत वही सतपुड़ा भवन, मूलतः हेल्थ और ट्रायबल की शाखाओं वाली बिल्डिंग है। अभी कुछ दिन पूर्व कांग्रेस के केके मिश्रा ने आग की आशंका जताई थी।

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जीतू पटवारी ने अपने ट्विटर हेंडल पर लिखा है “यह हमारा स्वास्थ्य निदेशालय है। यह प्रदेश की राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन से संचालित होता है। आज इसमें फिर आग लग गई।”। उन्होंने आगे लिखा कि ”मुख्यमंत्री चौहान, मेरा सीधा सवाल है कि आग लगी है या लगाई गई है? क्योंकि आमतौर पर माना जाता है कि चुनाव के पहले सबूत मिटाने के लिए सरकार ऐसी ‘हरकत’ करती है! हार रही बीजेपी अब यह भी बताए कि पुराने ‘अग्निकांड’ में दोषी कौन थे? किसे/कितनी सजा मिली?” इसके बाद उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि प्रियंका गांधी ने जबलपुर में घोटालों पर हमला बोला था। जिसके बाद सतपुड़ा भवन में आग लग गई। जिससे कई महत्वपूर्ण फाइल जलकर राख हो गई है। यह घोटालों की फाइल जलाने की साजिश तो नहीं है। यह आग मप्र में बदलाव के संकेत दे रही है।

इस अग्निकांड पर कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा की जब-जब चुनाव आते हैं तब-तब लगती आग लगती है। 2018 के पहले भी ऐसी ही आग लगी थी। आगामी विस चुनाव के पहले फिर आग लग गयी है। मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने वाला है।

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लेखक के बारे में

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