भोपालः भारत देश में अनेको तपस्वीओं ने जन्म लिया और देश की भूमी को गौरवान्वित किया है। सप्त ऋषि से लेकर परुषोत्तमानंद तक बहोत से ऋषियों ने घोर तपस्या कर विश्व कल्याण के लिए ईश्वर से प्राथना की है। सनातन धर्म में ऐसे भी ऋषियों ने जन्म लिया है। जिनके पास अपार अध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ ज्ञान और विश्व कल्याण की भावना थी। भारत में जन्में ऋषियों में अधिकतम ऋषि घोर तपस्या कर प्रभु को प्रसन्न करते थे। इसी कड़ी में साउथ टीटी नगर स्थित मां भद्रकाली विजयासन दरबार में स्वामी पुरुषोत्तमानंद ने 5×6 के 7 फीट गहरे गढ्ढे में समाधी ली है। आज समाधी का दूसरा दिन है।
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इस वजह से ली समाधी
स्वामी पुरुषोत्तमानंद की पत्नी और प्रधान सेविका की माने तो स्वामी जी ने लोक कल्याण के लिए समाधी ली है। समाधी के लिए स्वम मां भगवती ने प्रेरित किया था। जिसकी वजह से स्वामी जी ने ये कदम उठाया है। वहीं सेवकों शिष्यों की मानें तो गुरु जी पहले ही कई तरह की समाधियों से परिपक्व हैं। उन्होने 24 घंटे तक महेश्वर में जल समाधी ली थी। उसके पहले अग्नि स्नान कर चुके हैं। लेकिन समाधी के बाद लोगो की भीड़ उन्हे वापस देखने के लिए लालाइत हैं।
3 अक्टूबर को आएंगे समाधी से वापस
स्वामी पुरुषोत्तमानंद नें तीन दिन की भू समाधी का निर्णय लिया है। जिसको पूरा करके वे 3 अक्टूबर को सुबह दस से ग्यारह से बीच में वापस आएंगे । जिसके बाद श्रद्धालुओं से मिलने का अनुमान है। सुरक्षा के पुलिस बल 30 सितंबर से तैनात है। जगह जगह पर स्वामी के बाहर आने की आस लगाई जा रही है। साथ ही साथ दर्शन के लिए लोगो ने एडवांस में समित से परिमिशन मांगी है।
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35 mins ago