मिशन 2023…अब गांव पर फोकस! कांग्रेस का ये अभियान संजीवनी साबित होगा या फिर बीजेपी…?

कांग्रेस का ये अभियान संजीवनी साबित होगा या फिर बीजेपी...? Congress Focus on Village for upcoming Assembly Elections 2023

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  • Publish Date - March 4, 2022 / 12:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

रिपोर्ट- शिखिल ब्यौहार, भोपाल: Congress Focus on Village मध्यप्रदेश में भी मिशन 2023 की तैयारी में जुटी राजनीतिक पार्टियां अब गांवों की ओर कदम बढ़ा रही हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी ने पहने गांवों का गौरव दिवस मनाने का ऐलान किया, तो विपक्षी कांग्रेस भी ग्रामीण वोटर्स को साधने घर-घर चलो अभियान का रूख गांव की तरफ चल दी है। नई रणनीति के जरिए कांग्रेस अब केंद्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों को ग्रामीणों तक पहुंचाएगी। हालांकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस का फोकस सिर्फ बयानों और सोशल मीडिया पर ही है, गावों में कांग्रेस तो अब बची ही नहीं है।

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Congress Focus on Village नर्मदा जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर साल गांवों के विकास के लिए गौरव दिवस मनाने की घोषणा की, तो अपने गृह ग्राम जैत गांव का जन्मदिन मनाकर इसकी शुरुआत भी की। जानकार मानते हैं कि गौरव दिवस के जरिए बीजेपी ग्रामीण वोटर्स पर अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। मिशन 2023 के लिए बीजेपी ने गांव की ओर कदम बढ़ाया तो कांग्रेस ने भी किलाबंदी शुरू कर दी है। नई रणनीति के तहत कांग्रेस ने घर-घर चलो अभियान का रुख अब गांवों की ओर मोड़ दिया है।

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कांग्रेस नेतृत्व ने जिला अध्यक्षों को दो टूक चेतावनी देते हुए जल्द से जल्द मंडलम और सेक्टरों में नियुक्तियां करने के निर्देश भी दिए हैं। ताकि अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के बूथों तक पूरी मजबूती से उतर सके। अभियान में कांग्रेस न सिर्फ संगठन का विस्तार कर रही है बल्कि ग्रामीणों को केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी सरकार की वादाखिलाफी सहित किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी, महंगाई, कर्ज मांफी, समेत कई मुद्दों और मामलों से रूबरू भी करा रही है। कांग्रेसी इस बात का दावा भी कर रहे हैं कि ये अभियान बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जड़ से उखाड़ने के लिए काफी होगा।

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हालांकि बीजेपी नेता हर बार की तरह कांग्रेस की कवायद को हल्के में ले रहे हैं। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस का फोकस सिर्फ बयानों और सोशल मीडिया तक ही सीमित रहा है। शहर हो या गांव, कांग्रेस तो कही भी नहीं बची है। कांग्रेस की तरह ही इनके अभियान भी जमीन पर दम तोड़ चुके हैं।

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बीजेपी और कांग्रेस भले एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करें, लेकिन हकीकत तो ये है कि ग्रामीण वोटर्स को साधे बिना मिशन 2023 फतह करना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल प्रदेश की 70 फीसदी विधानसभा ग्रामीण परिवेश वाली हैं और 2018 में कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह भी। लिहाजा सत्ता वापसी के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस ने एक बार फिर गांवों का रूख किया है। अब सवाल ये है कि क्या उसका ये अभियान संजीवनी साबित होगा या फिर बीजेपी…?

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