भोपालः मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए आज का दिन बेहद खास है। 9 साल बाद उन्हें प्रमोशन मिल सकेगा। सरकार ने आज कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगाई है। एक तरफ खुशखबरी तो दूसरी ओर विरोध भी हो रहा है। विरोध की वजह है प्रमोशन में आरक्षण। ये आरक्षण SC और ST वर्ग के कर्मचारियों के लिए है। जाहिर तौर पर इसका विरोध ओबीसी और जनरल वर्ग के कर्मचारी और जातीय संगठन कर रहे हैं। विरोध हुआ तो सियासत होगी। मौजूदा सूरतेहाल ये है कि प्रमोशन पर आरक्षण वाले पेंच ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। सवाल ये कि इसका मोहन सरकार क्या हल निकालने जा रही है?
9 साल से रुके सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए 36 प्रतिशत आरक्षण होगा। इसमें एसटी के लिए 20% जबकि एससी के लिये 16% का प्रावधान है। इसके अलावा एससी-एसटी के पदों पर पदोन्नति करने और अनारक्षित पदों पर सबको अवसर देना भी शामिल है। CM ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी और सबको बधाई भी दी।
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MP प्रमोशन में आरक्षण का मामला अदालत में होने की वजह से प्रमोशन बंद थे। पूर्व सरकारों ने नए नियम बनाने के प्रयास किए लेकिन एक राय नहीं बनी, जिसके कारण फैसला नहीं हो पाया। हालांकि अब 10 साल बाद रास्ता साफ हुआ है। फैसले से एक तरफ अजाक्स तो खुश है लेकिन सपाक्स ने इस फैसले को एकतरफा बताते हुए काला दिन करार दिया। फैसला कर्मचारियों से जुड़ा है तो कर्मचारियों का सच्चा हितैषी दिखाने की होड़ सियासी दलों में मच गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बीजेपी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं और पूछा कि बैकलॉग पदों को सरकार किस तरह भरेगी ये साफ करे तो वहीं बीजेपी ने फैसले का स्वागत किया है। मोहन सरकार ने भले प्रमोशन में आरक्षण देने.. प्रमोशन नीति को मंजूरी दे दी है, लेकिन इस फार्मूले में अभी भी कई पेंच हैं, जिसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है।