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Gwalior News: मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल क्षेत्र इन दिनों नफरत और समाजिक तनाव की आग में झुलस रहा है। हाल ही में दलित समाज ने ये शपथ ली कि वो सवर्ण समाज के लोगों से किसी भी कानूनी मामले में काम नहीं करवाएंगे। इसके जवाब में भिंड जिले में सवर्ण समाज की महापंचायत में दलितों का बहिष्कार करने की शपथ दिलाई गई। कांग्रेस के बड़े दलित नेता और विधायक फूलसिंह बरैया का कहना है कि ये आग बीजेपी और आरएसएस की वजह से भड़की है। वहीं बीजेपी के प्रदेशमंत्री लोकेंद्र पाराशर का दावा है कि इसके पीछे विदेशी ताकतें और NGOs काम कर रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल ने कहा कि ये स्थिति गंभीर है और इसे तुरंत रोकना होगा। उनका मानना है कि समाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाले ये निर्णय लंबे समय तक क्षेत्र में तनाव बनाए रखेंगे।
भीम आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष सतेंद्र विद्रोही और प्रदेश संयोजक ने अपने कार्यकर्ताओं को कोर्ट में शपथ दिलाई। शपथ के तहत किसी भी केस में सामान्य वर्ग के वकील को नहीं चुनने का निर्णय लिया गया है। इसके बजाय SC/ST, OBC और मुस्लिम वर्ग के वकीलों को ही अपना वकील बनाया जाएगा। 24 अक्टूबर 2025 को भिंड जिले के सुरपुरा गांव में आयोजित महापंचायत में सवर्ण समाज के लोगों ने जाटव समाज का बहिष्कार करने और सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक संबंध खत्म करने की बड़ी घोषणा की। विशेषज्ञों का कहना है कि ये घटनाक्रम अंबेडकर मूर्ति स्थापना के बाद ग्वालियर-चंबल में समाजिक नफरत बढ़ने का संकेत है। दो तस्वीरें इस बात को साफ दिखाती हैं कि विवाद सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि समाजिक बहिष्कार और तनाव का रूप ले चुका है।
कांग्रेस विधायक फूलसिंह बरैया ने कहा, ‘ये आग मोदी जी, बीजेपी और आरएसएस की वजह से भड़की है। इन लोगों ने समाज में इतनी ज्यादा नफरत फैला दी कि इसे रोकना मुश्किल हो रहा है। देश विखंडन की ओर बढ़ रहा है।’ वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल कहते हैं कि समांती सोच अभी भी जिंदा है। कुछ पढ़े-लिखे लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं। उनका मानना है कि ये निर्णय मूर्खतापूर्ण है क्योंकि समाजिक और आर्थिक सहयोग के बिना कोई काम नहीं चलता।
Gwalior News: विशेषज्ञों का कहना है कि ग्वालियर-चंबल में शुरू हुआ विवाद अब समाजिक बहिष्कार और आर्थिक अलगाव तक पहुंच गया है। पहले ये हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में अंबेडकर मूर्ति स्थापना से शुरू हुआ था। अब दोनों समाजों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बहिष्कार की शपथें ली जा रही हैं। राकेश अचल ने कहा, ‘समाजिक ताने-बाने को तोड़ने का काम हो रहा है। पढ़े-लिखे लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं। उनकी संख्या कम हो सकती है लेकिन जहर घोलने की उनकी क्षमता ज्यादा है। एक बार समाज टूट गया तो इसे जोड़ना मुश्किल होगा।’ ऐसा माना जा रहा है कि अगर आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार जैसी शपथें जारी रहीं तो आने वाले समय में ग्वालियर-चंबल का माहौल और बिगड़ सकता है।