Been doing this work for the sake of love for 23 years: होशंगाबाद। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और देश में लगातार घट रहे वनक्षेत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से नर्मदापुरम जिले के सुपरली गांव में पर्यावरण प्रेमी योगेंद्र सिंह सोलंकी इस बार होली पर लकड़ी की छाल और गोबर से लकड़ी बनाकर पर्यावरण को संरक्षित और स्वच्छ रखने का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने लोगो से पर्यावरण प्रेमी होली मनाने का आह्वान किया है।
पर्यावरण प्रिय होली मनाने का संदेश
पर्यावरण प्रेमी योगेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि हमारे देश में प्रतिवर्ष होलिका दहन पर्व पर लाखों क्विंटल लकड़ी जलाई जाती है। जिसके लिए कई वर्षों से पर्यावरण प्रिय होली मनाने का संदेश प्रसारित किया जा रहा है, लेकिन आज भी देश के अनेक ग्रामीण व शहरी इलाकों में बड़ी मात्रा में होलिका दहन पर लकड़ियां जलाई जाती हैं। जिले के ग्राम सुपरली के किसान योगेंद्रपाल सिंह सोलंकी ने पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों की सुरक्षा को लेकर 23 साल पहले वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष पर्यावरण प्रिय होली मनाने का संदेश देना शुरू किया। जो अब तक लगातार चल रहा है। उन्होंने इसके लिए देश व प्रदेश के अनेक जिलों में मैराथन दौड़ लगाकर और नरवाई, गोबर व सूखे पत्तों से लकड़ियां बनाकर इनके इस्तेमाल का संदेश दिया है।
गाय के गोबर से प्रतिदिन दस लकड़ियां तैयार
योगेंद्र सोलंकी की जानकारी के मुताबिक देश के 6 लाख गांव और 10 हजार शहरों में करीब 35 लाख होली में जलती हैं। जिसमें अनुमानित पांच क्विंटल प्रति होली के हिसाब से एक करोड़ 75 लाख क्विंटल लकड़ी एक ही दिन में जल जाती है। सुपरली के किसान योगेंद्रपाल सिंह ने बताया एक गाय के गोबर से प्रतिदिन दस लकड़ियां तैयार की जाती हैं। गोबर में वनस्पति के पत्तों का उपयोग लाभकारी होता है। इनमें नीम, पलाश, बेर, बिल्वपत्र, इमली, आक और फसलों के अपशिष्टों का उपयोग कर लकड़ियां तैयार की जाती हैं। उक्त लकड़ियों से पर्यावरण के लिए ऑक्सीजन का निर्माण भी होता है। गो-काष्ट में यदि चावल और गाय के घी का मिश्रण कर दिया जाता है तो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन निर्मित होती है। जो वायुमंडल को शुद्ध करने में मदद करती है।