कोरोना की दूसरी लहर में जिन अस्पतालों ने लांघी सारी हद, नाम बदलने के बाद उन्हें फिर मिली इलाज अनुमति

नाम बदलने के बाद उन्हें फिर मिली इलाज अनुमति! In the second wave of Corona, the hospitals which crossed all the limits, after changing the name, they got treatment permission again

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  • Publish Date - July 31, 2021 / 01:25 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

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Mp second wave covid news

ग्वालियर: मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में निजी अस्पतालों ने जमकर चांदी काटी। जिन परिजन के पास बिल चुकाने के पैसे नहीं थे., न्हें अंतिम संस्कार के लिए शव तक देने से इंकार कर दिया। यही वजह है कि ग्वालियर के कई निजी अस्पतालों पर कार्रवाई हुई, लेकिन हैरानी की बात ये कि अब उन अस्पतालों के नाम बदलकर इलाज की इजाजत दी जा रही है। जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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Mp second wave covid news : हिंदुस्तान में जब लोग महामारी के बीच त्राहिमाम कर रहे थे, एक-एक सांस के लिए तड़प रहे थे। ऐसे हालात में भी कुछ अस्पताल लालच और लापरवाही की हदें लांघ रहे थे। संक्रमण की रफ्तार थीमी पड़ी तो प्रशासन ने इन अस्पतालों लिस्ट बनाकर लाइसेंस रद्द किए, उन्हें इलाज के योग्य नहीं समझा। लेकिन प्रशासन अब उन्हीं अस्पतालों को नया नाम देकर इलाज की इजाजत दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने जहां छापे मारे, जांच की और अनियमितताओं की लिस्ट बनाई। अब वही अस्पताल नाम बदलने से योग्य कैसे हो गए। जबकि ना डॉक्टर बदले, ना स्टाफ, ना व्यवस्थाएं, बदला है तो सिर्फ अस्पताल के बोर्ड पर लिखा नाम।

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कुल मिलाकर देखा जाए तो ग्वालियर में अस्पतालों का उद्योग चल पड़ा है, जहां मरीज से ज्यादा ठगी का खेल हावी है। सांसों का सौदा हो रहा है। दागी अस्पताल में पहला नाम न्यू लाइफ अस्पताल का है, जो बिना परमिशन कोविड मरीजों का इलाज कर रहा था। फर्जी बिलबुक और गंदगी का आलम था, लेकिन पंजीयन निरस्त होने ठीक एक महीने बाद फिर शुरू हो गया है। ऐसा ही हाल लोटस अस्पताल का है, यहां तो वार्ड बॉय ने महिला मरीज के साथ जो हरकत की थी वो माफी योग्य नहीं थी। लेकिन फिर भी लाइसेंस निरस्त होने के ठीक एक सप्ताह बाद नए नाम से संचालित होने लगा। इधर श्रद्धा अस्पताल में भी भारी लापरवाही देखने को मिली थी, डॉक्टरों का नामोनिशान नहीं था। अनट्रेंड स्टाफ कोविड मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन कार्रवाई के तीन दिन बाद ही नए नाम से अस्पताल शुरू हो गया। इस लिस्ट में जीवन सहारा अस्पताल, मैक्स अस्पताल, कुशल अस्पताल, लीला अस्पताल, लाइफ केयर अस्पताल का भी नाम शामिल है।

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क्या नाम बदलने से कोई गुनाह करना छोड़ देता है? क्या किसी डकैत को साधु पुकारने पर वो आध्यात्म के रास्ते पर आ जाएगा? अस्पतालों को भी नए नाम से परमिशन देना किसी के गले नहीं उतर रहा है।

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