भोपाल। Face to Face Madhya Pradesh विधानसभा चुनाव को अब सिर्फ कुछ ही वक्त बचा है। चुनाव से पहले दल अपने संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। चुनाव से पहले तमाम मुद्दों ने एमपी की सियासत में भूचाल मचाया, इस बार तमाम चुनावी अस्त्र-शस्त्र के साथ ही बुलडोजर की खूब चर्चा है। हाल ही में बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा में बुल्डोजर नजर आए थे लेकिन अब ये बुल्डोजर कांग्रेस की जन-आक्रोश यात्रा में भी नजर आ रहे हैं। तो चुनाव से पहले जहां दल एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे तो वहीं, एक-दूसरे के चुनावी हथियार को हाईजैक करने की भी कोशिश हो रही है।
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Face to Face Madhya Pradesh ये वो बुलडोजर है जो मध्यप्रदेश की राजनीति में इनदिनों सियासी दलों के लिए सत्ता के शिखर पर पहुंचने का साधन बन गया है। इससे पहले बुलडोजर आम तौर पर प्रशासन की कार्रवाई के दौरान देखने को मिल जाता था। लेकिन, यही बुलडोजर अब राजनीतिक दलों की यात्राओं की शोभा बढ़ा रहा है। पहले बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा तो अब कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा में बुलडोजर अपनी भूमिका निभा रहा है। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों प्रमुख सियासी दल अपनी अपनी यात्राओं में इसका उपयोग में जुटे हैं।
एमपी में जब जब बुलडोजर वाली कार्रवाई हुई तब-तब कांग्रेस ने बीजेपी पर बुलडोजर पॉलिटिक्स करने का आऱोप लगाया। मगर भिंड में जन आक्रोश यात्रा में बुलडोजर पर कांग्रेस अलग ही तर्क दे रही। कांग्रेस का कहना है कि हमारा बुलडोजर फूल बरसाता है और अब ये BJP के नफरत के बुलडोजर को आगामी चुनाव में जमींदोज करेगा, तो वहीं बीजेपी कांग्रेस पर नकल करने का आरोप लगा रही है।
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विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दलों की यात्राओं में बुलडोजर की भूमिका सत्ता की संग्राम को आसान बनाने की कवायद मानी जा सकती है, लेकिन आम तौर पर प्रशासनिक कार्रवाई के अतिक्रमण कारियों के ठिकानों को निस्तो नाबूत करने वाला बुलडोजर मप्र की सियासत में किसका चुनावी समीकरण जमींदोज करेगा। ये तो आने वाला समय ही बताएगा।