भोपालः मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट से पहले आर्थिक सर्वे पेश किया गया और सर्वे के बाद सियासत शुरू हो गई। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार पर लगातार कर्ज लेने का आरोप लगाया जाता है लेकिन आंकड़ों के मुताबिक कर्ज घट रहा है। इस पर कांग्रेस ने कहा कि सरकार कर्ज के भरोसे चल रही है और बार बार कर्ज लेने से प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।
प्रति व्यक्ति आय 1,40,500 रुपए, विकास दर में 16.34% की बढ़ोतरी, सकल घरेलू उत्पाद 13,22,000 करोड़ रुपए, मध्यप्रदेश विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के ये आंकड़े राज्य की आर्थिक सेहत बता रहे हैं। शिवराज सरकार इन आंकड़ों से गदगद है। सर्वे रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश लगातार तरक्की कर रहा है लेकिन कांग्रेस कर्ज को लेकर बेजा आरोप लगा रही है। उन्होंने इसके लिए भी आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि पहले 39.5 फीसदी कर्ज लिया जाता था जो 2021- 2022 में घट कर महज 22.6 फीसदी रह गया है।
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आंकड़ों से उलट कांग्रेस का कहना है कि सरकार पूरी तरह से कर्ज में डूब चुकी है। कांग्रेस नेताओ ने ये भी दावा किया कि अगला बजट कांग्रेस की सरकार पेश करेगी। इस पर बीजेपी ने पलटवार किया कि कर्ज लेना सरकार की रूटीन प्रक्रिया है और जहां तक कांग्रेस की बात है तो वह पूरे देश में खत्म हो रही है।
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कांग्रेस और बीजेपी के दावों के बीच मध्यप्रदेश सरकार 1 मार्च को बजट से पहले फिर कर्ज लेगी। सरकार 30 दिन में 5वीं बार कर्ज लेने जा रही है। इस बार 20 साल के लिए 3 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया जा रहा है। सवाल है कि कर्ज को लेकर किसके दावों में कितना दम है ? और आर्थिक सर्वे के चमकदार आंकड़ों से क्या वाकई आम लोगों के हालात भी बदले हैं ?