This village is forced to live in the shadow of darkness
This village is forced to live in the shadow of darkness: मंडला। जिले के एक बैगा गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है। गांव की गलियों में पिछले तीन सालो से बिजली के खंम्भे तो ख़ड़े है, कई खंभो में तार भी लगे हैं, लेकिन उन खंभो में करंट आज तक नहीं दौड़ रहा है। मजबूरन बैगा परिवार आज भी अंधेरे के साए में जीने को मजबूर है, जिससे गुस्साए बैगा परिवार के लोगों ने गांव के गली में इस साल होने वाले चुनाव के बहिष्कार का एक फ्लैक्स लगाकर ऐलान कर दिया है।
मध्यप्रदेश में चुनावी सुगबुगाहट है और देश इस समय 21वीं सदी में जी रहा है, जहां इस वक्त बाते चांद तक पहुंचने की होती है पर जमीनी हकीकत ये है कि कई इलाके ऐसे हैं, जहां दिन का काम तो सूरज की रोशनी तले हो जाता है, लेकिन रात का सहारा चांद की चांदनी रात में होती है। हम बात कर रहे है बिछिया विकासखंड से महज चार किलोमीटर दूर और कान्हा नेशनल पार्क के सरही गेट से सटे कटंगमाल ग्राम पंचायत के वन ग्राम भानपुर खेड़ा की, जहां के 14, 15 और 19 ये तीन वार्डो में बैगा और गोड़ जनजाती के करीब 250 परिवार के लोग निवास करते है। जो मूलभूत सुविधाए बिजली और पानी के लिए तरस रहे हैं।
गांव के अंदर जाने वाली गलियों में टोलो-टोलो में, चौराहे-चौराहे पर बिजली के खंभे खड़े तो पिछले तीन साल से नजर आ रहे हैं, पर किसी खंभे पर तार नजर आता, जिससे गांव में करंट नही दौड़ रहा है। इस गांव के लोग अपने गांव में जलते हुए बल्ब की सूरत देखने के लिए तरस रहे हैं। इस गांव में आज तक बिजली के दर्शन नहीं हुए हैं। बैगा जनजाति के लोग रोज रात के अंधेरे में चूल्हे की रोशनी, मिट्टी के तेल के दीपकों के सहारे लोग अपनी जिंदगी कई सालो से ऐसे ही गुजार रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे चूल्हे की रोशनी के सहारे अपने जीवन रूपी किताब के पन्ने पलटते हुए नजर आते हैं। गांव में बिजली नहीं होने की वजह से कई बच्चों ने तो पढ़ाई तक छोड़ दी है।
गांव के ग्रामीण से लेकर सरपंच तक ने गांव में बिजली और पानी की सुविधा के लिए कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से आवेदन निवेदन किया है पर आज तक कुछ नही हुआ। गांव के ग्रामीण बताते है कि जब भी चुनाव आते सभी यहां आते है। हम उन्हे अपने गांव में बिजली पानी के लिए वोट देते हैं पर जीतने के बाद आज तक किसी ने भी दोबारा गांव में पलट के नहीं देखा है। ग्रामीणों की समस्या को लेकर जब हमने तहसीलदार से बात की तो उन्होने गांव की समस्यो को अप्रैल तक खत्म करने का आश्वासन दिया है। IBC24 से चंद्रेश खरे की रिपोर्ट
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