भोपालः सियासत में चलेगी तो गाय ही..!! ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आज फिर एमपी में गाय पर दुधारू सियासत हो रही है। सीएम मोहन यादव की नई गौ नीति अब लॉर्जर देन लाइफ वाले स्केल में सामने है। वो आज राज्यस्तरीय गौशाला सम्मेलन में शामिल हुए। डॉ अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत की। पशुपालन विभाग में गौपालन को एड किया। मप्र को दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बनाने का संकल्प लिया और लगे हाथ कांग्रेस की खिंचाई भी कर ली। मतलब उन्होंने गाय साधकर सबको साधने का संकेत दे दिया। इस बात के प्रमाण भी हैं कि गाय की सियासत हमेशा दुधारू रही है। बात चाहे जहां से भी शुरू करें, लेकिन खत्म गौ-सेवा में होनी चाहिए। ये मप्र की सियासत का नया फीलगुड फैक्टर है। इसमें हिंदुत्व की लहर भी है। सीएम की गौ-भक्ति का प्रमाण भी है। गौपालकों की चिंता भी है..अंबेडकर के बहाने दलितों को साधने की तरतीब भी है..और कांग्रेस को घेरने का अवसर भी..क्या ये राजनीति की चौसर में सीएम मोहन की पौ-बारह है और क्या बीते गुरुवार को राहुल का दूध से अभिषेक करने वाली कांग्रेस के पास इस पौ-बारह का फिलहाल कोई तोड़ है?
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सीएम डॉ.मोहन यादव ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि मध्य्प्रदेश की राजनीति में चलेगी तो गाय ही। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सीएम हाउस में गौपालकों एवं गौशाला संचालकों से संवाद किया। गौशालाओं को 90 करोड़ रूपए की राशि ट्रांसफर की। यहां प्रदेशभर से सरकारी और प्राइवेट गौ-शाला संचालक ,प्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल हुए। सीएम डॉ मोहन यादव ने यहां से कई बड़े बड़े ऐलान किए।बताया कि विभाग के नाम में पशुपालन विभाग के साथ ही अब गोपालन विभाग भी जोड़ा जाएगा। मौका देखते हुए गाय के नाम पर भी सीएम ने कांग्रेस को जमकर घेरा। बस कांग्रेस ही नहीं सीएम ने एक और बड़ी घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना का नाम अब डॉ. भीमराव अंबेडकर दुग्ध उत्पादन योजना कर दी गई है। वहीं प्रदेश की गौशालाओं में पाली जाने वाली गायों के लिए मोहन सरकार ने अनुदान 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए डबल कर दिया है। जाहिर है सीएम के इन एलानों के बाद मप्र में सियासी पारा हाई हो गया है। बीजेपी जहां गौवंश के लिए किए काम पर अपनी सरकार की तारीफ कर रही है। वहीं कांग्रेस ने सरकार से कई सवाल पूछे हैं।
सूबे में गाय पर राजनीति नई बात नहीं है। यहां चिंता गाय के पालन पोषण की नहीं, बल्कि उन करोड़ों हिंदुओं की आस्था की है,जो सियासी दलों का बड़ा वोट बैंक है। दरअसल वर्ष 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी के इस चुनावी हथियार को हथिया लिया कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए गाय को मुद्दा बनाया था और कमलनाथ सरकार एक हजार गौशाला का फॉर्मूला लेकर आई थी। यह मुद्दा विधानसभा चुनाव और फिर 28 उपचुनाव में सियासत का केंद्र भी बना था। तख्तापलट के बाद शिवराज ने गौ-कैबिनेट बनाकर कमलनाथ के गौशाला मिशन की काट खोज ली। अब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए गौमाता को मिशन बना चुके है और एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे है, लेकिन बड़ा सवाल ये कि तमाम योजनाओं के बाद भी लाखों निराश्रित गौवंश आज भी सड़कों पर बैठी रहती है, जो कई बार दुर्घटना का शिकार हो जाती है। क्या वाकई इन योजनाओं से गौवंशों की तस्वीर और तकदीर बदलेगी या फिर इसी तरह गौवंश पर सिर्फ सियासत होगी।