सिवनीः Collarwali tigress passes away मध्यप्रदेश पेंच टाइगर रिजर्व की रानी कॉलरवाली बाघिन का निधन हो गया। कॉलरवाली के नाम से मशहूर रही बाघिन की मौत के बाद से ही पार्क प्रबंधन सहित वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है। पार्क के कर्मचारियों ने सम्मान के साथ सुपरमॉम को अंतिम विदाई दी।
Collarwali tigress passes away अब पर्यटकों को कभी बाघिन को देखना नसीब नही होगा। बाघिन को देखने का पर्यटकों का इंतजार अब कभी खत्म नही होगा क्योंकि अब ये सुपर मॉम नही रही। वृद्धाअवस्था और बीमारी के चलते शनिवार को उसने अंतिम सांस ली। बीते दो हफ़्तों से कॉलरवाली की सेहत को लेकर पार्क प्रबंधन और बाघ प्रेमी चिंता में थे। उम्र के आखरी पड़ाव के दौरान कॉलरवाली बाघिन ने पार्क में कर्माझिरी इलाके के कुम्भादेव बीट में अपनी अंतिम सांस ली। सुपर मॉम को बड़े ही सम्मान औऱ भीगी पलकों के साथ आखरी विदाई दी गई। पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन ने जंगल में अपनी जिंदगी जिस रॉयल अंदाज में जिया था। उसी तरह उसको पूरे सम्मान के साथ रॉयल विदाई भी दी गई। पेंच टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार वन ग्राम कर्माझिरी की निवासी दबंग आदिवासी महिला शांताबाई सरयाम ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पेंच की रानी को मुखाग्नि दी। बाघिन को लेकर पेंच टाइगर रिजर्व के वैटनरी ऑफिसर डॉ. अखिलेश मिश्रा ने याद करते हुए कहा कि मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूँ जिसने इस कॉलरवाली बाघिन की पूरी यात्रा देखी है।
साल 2008 में इस बाघिन के गले में रेडियो कॉलर पहनाया गया था। इसी वजह से इसका नाम कॉलरवाली बाघिन पड़ गया। टाइगर रिजर्व के टूरिज्म एरिया के बीच में इसकी टेरिटरी होने के कारण इसे पेंच की रानी के नाम से भी जानते थे, लेकिन अब ये कॉलरवाली हमारे बीच नहीं रही। आप अंदाजा लगा सकते है कि बाघिन कॉलरवाली कितनी ख़ास थी। न सिर्फ ख़ास थी बल्कि पेंच टाइगर रिजर्व का अभिमान थी। दरअसल आंकड़े बताते है कि सबसे ज्यादा फोटोग्राफी अगर किसी के ऊपर हुई है तो वो कॉलरवाली ही है। 6 करोड़ से ज्यादा फोटो अकेली कॉलरवाली के क्लिक किये गए हैं। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
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यहां पहंचने वाले सैलानियों को बाघिन ने कभी निराश नही की। इस बाघिन ने लगातार 8 बार शावकों को जन्म दिया जो अब तक कोई बाघिन न कर सकी। 29 शावकों को जन्म देकर एक विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किया। ये ऐसी बाघिन है जिसने पेंच टाइगर रिजर्व को प्रदेश का सबसे अच्छा टाइगर रिजर्व होने का खिताब और मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पेंच टाइगर रिजर्व के पूर्व डायरेक्टर विक्रम सिंह भी मानते हैं कि बाघों के संवर्धन में मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में सुपर मॉम का अभूतपूर्व योगदान है।
अब तक की सबसे मशहूर बघिनो में से एक है कॉलरवाली…एक ऐसी बाघिन जिसने 14 सालों तक पेंच टाइगर रिजर्व पर राज किया। पेंच पार्क को पूरी दुनिया में टाइगरों की बेहतर देखभाल के लिए पहचाना जाता है, लेकिन अकेली कॉलरवाली के योगदान से ही दुनिया भर के वाइल्ड लाइफ जानकार अचंभित हैं और पेंच पार्क में आकर बार-बार टाइगरों के बढ़ते कुनबे को देखना चाहते हैं। इतना ही नहीं सरकारों ने भी “कॉलरवाली” के योगदान को सलाम किया है, मध्यप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि बाघिन “कॉलरवाली” का पेंच टाइगर रिजर्व की लोकप्रियता में बड़ा योगदान है। इस बाघिन के अक्सर दिखाई पड़ने से उन पर्यटकों को निराश नहीं होना पड़ता जो काफी उम्मीदें लेकर पेंच टाइगर रिजर्व आते है।
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