Rewa News: कॉलेज में एक ही टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं छात्र-छात्राएं, ऐसी बदहाल व्यवस्था देख शर्म से झुक जाएगा सिर

रीवा के एक कॉलेज में क्लासरूम बना कबूतरखाना, अंदर उड़ते हैं कबूतर जर्जर छत, टूटी हुई सीमेंट की शीटें और चारों तरफ फैली गंदगी, यही है इस महाविद्यालय की असल तस्वीर। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।

Rewa News / Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • 10 साल से खंडहर में शिक्षा।
  • शर्मनाक टॉयलेट व्यवस्था।
  • सरकारी दावों पर सवाल।

Rewa News: रीवा: क्लासरूम बना कबूतरखाना, अंदर उड़ते हैं कबूतर जर्जर छत, टूटी हुई सीमेंट की शीटें और चारों तरफ फैली गंदगी, यही है इस महाविद्यालय की असल तस्वीर। जी हां, रीवा जिले के गोविंदगढ़ का महाविद्यालय बदहाली की मिसाल बन चुका है।

पिछले 10 सालों से ये महाविद्यालय बाणसागर कैनाल विभाग की जर्जर बिल्डिंग में संचालित है, जो अब किसी खंडहर से कम नहीं है। यहां कि स्थिति देखकर कोई भी सहज अंदाजा लगा सकता है कि विद्यार्थियों की शिक्षा नहीं बल्कि उनकी जिंदगी जोखिम में डाली जा रही है।

क्लासरूम के अंदर कबूतरों का घर

छात्राओं ने बताया कि क्लासरूम के अंदर कबूतर उड़ते हैं, हर दिन गंदगी फैलाते हैं और सफाईकर्मी को 5-6 बार सफाई करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में क्लास बंद रहती है, अंदर पानी भर जाता है, बरसात के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। छात्राओं के अनुसार, बारिश के दौरान क्लासरूम में पानी भर जाता है, छत से लगातार पानी टपकता है, जिससे कई दिनों तक कक्षाएं पूरी तरह बंद रहती हैं।

टॉयलेट की व्यवस्था शर्मनाक

महाविद्यालय के सभी छात्र और छात्रा के लिए अलग टॉयलेट नहीं है। सभी एक ही टॉयलेट का उपयोग सभी करते हैं। महाविद्यालय में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है। कार्यालय में बने एकमात्र टॉयलेट को पुरुष स्टाफ, छात्राएं और शिक्षिकाएं सभी को साझा करना पड़ता है, जिससे लगातार असुरक्षा और असहजता बनी रहती है।

भवन में एक साथ तीन कक्षाएं संचालित

सभी क्लासरूम में एक साथ आवाजें गूंजती हैं, जिसके कारण पढ़ाई में काफी परेशानी होती है साथ ही एक ही भवन में तीन-तीन कक्षाएं एक साथ संचालित की जाती हैं। जिससे आवाजों की गूंज के कारण पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। छात्राओं ने बताया कि पाठ समझ ही नहीं आता, शोर से ध्यान भटक जाता है।

छात्राओं की मजबूरी पास में विकल्प नहीं

दो अलमारियों में कुछ किताबें टीम जब लाइब्रेरी पहुंची तो पाया कि सिर्फ दो अलमारियों में कुछ चुनिंदा किताबें रखी थीं। लाइब्रेरी स्टाफ के अनुसार यही पूरी लाइब्रेरी है। तस्वीरों से पता चलता है जब किताबें ही नहीं हैं, तो लाइब्रेरी में पढ़ें क्या? रीवा 20 KM दूर। गुणवत्ता से समझौता होने के बावजूद छात्राएं यहां प्रवेश लेने को मजबूर हैं, क्योंकि रीवा 20 किलोमीटर दूर है, और पास में यही एकमात्र महाविद्यालय है।

सरकार के दावों की खुली पोल

सरकार बेटियों की शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन गोविंदगढ़ महाविद्यालय की ये स्थिति उन दावों की पोल खोल देती है। आजादी के 79 साल बाद भी विद्यार्थी खंडहर में पढ़ने को मजबूर हैं, ये शिक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता का उदाहरण है।

 कॉलेज में बैठने की भी समस्या

मुस्कान बानो बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा ने बताया कि इस कॉलेज में बहुत सारी समस्या है जिसमें से एक बैठने की भी समस्या है। सबसे बड़ी समस्या इस कॉलेज में लायब्रेरी है लेकिन बैठकर पढ़ने की व्यवस्था नहीं है जहां हम बैठकर पढ़ सकें। ऊपर से डर बना रहता है कि किसी भी समय ये भवन गिर न जाए।

प्राचार्य बोली 10 साल से यही व्यवस्था

नई बिल्डिंग का बजट मिला है। प्राचार्य का कहना है कि महाविद्यालय को फिलहाल बाणसागर कैनाल विभाग की बिल्डिंग में संचालित किया जा रहा है। नई बिल्डिंग के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है, जल्द निर्माण शुरू होने की बात कही जा रही है। शासन ने जो व्यवस्था दी है उसी से काम चला रहे हैं। उम्मीद है ये अंतिम वर्ष होगा उसके बाद नया भवन मिलेगा। वर्ष 2015 से इसी भवन में संचालित है ये महाविद्यालय। समय समय पर शासन को पत्र लिखकर भेजते रहते हैं।

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गोविंदगढ़ महाविद्यालय वर्तमान में कहाँ संचालित हो रहा है?

यह महाविद्यालय पिछले 10 सालों से बाणसागर कैनाल विभाग की एक जर्जर बिल्डिंग में संचालित हो रहा है, जो अब खंडहर जैसी हो चुकी है।

महाविद्यालय में विद्यार्थियों को किन मुख्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

मुख्य समस्याओं में जर्जर क्लासरूम में कबूतरों की गंदगी, बारिश में क्लासरूम में पानी भरना, छात्र और छात्राओं के लिए एक ही साझा (शेयर) टॉयलेट का होना, और एक ही भवन में तीन कक्षाएं एक साथ संचालित होने से पढ़ाई में व्यवधान शामिल हैं।

महाविद्यालय के प्राचार्य का इस स्थिति पर क्या कहना है?

प्राचार्य ने बताया कि वर्ष 2015 से महाविद्यालय इसी भवन में संचालित है। नई बिल्डिंग के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है और उन्हें उम्मीद है कि यह अंतिम वर्ष होगा जब वे इस जर्जर भवन में काम कर रहे हैं।