Reported By: Dhanendra Pratap Singh
,Rewa News / Image Source: IBC24
Rewa News: रीवा: क्लासरूम बना कबूतरखाना, अंदर उड़ते हैं कबूतर जर्जर छत, टूटी हुई सीमेंट की शीटें और चारों तरफ फैली गंदगी, यही है इस महाविद्यालय की असल तस्वीर। जी हां, रीवा जिले के गोविंदगढ़ का महाविद्यालय बदहाली की मिसाल बन चुका है।
पिछले 10 सालों से ये महाविद्यालय बाणसागर कैनाल विभाग की जर्जर बिल्डिंग में संचालित है, जो अब किसी खंडहर से कम नहीं है। यहां कि स्थिति देखकर कोई भी सहज अंदाजा लगा सकता है कि विद्यार्थियों की शिक्षा नहीं बल्कि उनकी जिंदगी जोखिम में डाली जा रही है।
छात्राओं ने बताया कि क्लासरूम के अंदर कबूतर उड़ते हैं, हर दिन गंदगी फैलाते हैं और सफाईकर्मी को 5-6 बार सफाई करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में क्लास बंद रहती है, अंदर पानी भर जाता है, बरसात के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। छात्राओं के अनुसार, बारिश के दौरान क्लासरूम में पानी भर जाता है, छत से लगातार पानी टपकता है, जिससे कई दिनों तक कक्षाएं पूरी तरह बंद रहती हैं।
महाविद्यालय के सभी छात्र और छात्रा के लिए अलग टॉयलेट नहीं है। सभी एक ही टॉयलेट का उपयोग सभी करते हैं। महाविद्यालय में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है। कार्यालय में बने एकमात्र टॉयलेट को पुरुष स्टाफ, छात्राएं और शिक्षिकाएं सभी को साझा करना पड़ता है, जिससे लगातार असुरक्षा और असहजता बनी रहती है।
सभी क्लासरूम में एक साथ आवाजें गूंजती हैं, जिसके कारण पढ़ाई में काफी परेशानी होती है साथ ही एक ही भवन में तीन-तीन कक्षाएं एक साथ संचालित की जाती हैं। जिससे आवाजों की गूंज के कारण पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। छात्राओं ने बताया कि पाठ समझ ही नहीं आता, शोर से ध्यान भटक जाता है।
दो अलमारियों में कुछ किताबें टीम जब लाइब्रेरी पहुंची तो पाया कि सिर्फ दो अलमारियों में कुछ चुनिंदा किताबें रखी थीं। लाइब्रेरी स्टाफ के अनुसार यही पूरी लाइब्रेरी है। तस्वीरों से पता चलता है जब किताबें ही नहीं हैं, तो लाइब्रेरी में पढ़ें क्या? रीवा 20 KM दूर। गुणवत्ता से समझौता होने के बावजूद छात्राएं यहां प्रवेश लेने को मजबूर हैं, क्योंकि रीवा 20 किलोमीटर दूर है, और पास में यही एकमात्र महाविद्यालय है।
सरकार बेटियों की शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन गोविंदगढ़ महाविद्यालय की ये स्थिति उन दावों की पोल खोल देती है। आजादी के 79 साल बाद भी विद्यार्थी खंडहर में पढ़ने को मजबूर हैं, ये शिक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता का उदाहरण है।
मुस्कान बानो बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा ने बताया कि इस कॉलेज में बहुत सारी समस्या है जिसमें से एक बैठने की भी समस्या है। सबसे बड़ी समस्या इस कॉलेज में लायब्रेरी है लेकिन बैठकर पढ़ने की व्यवस्था नहीं है जहां हम बैठकर पढ़ सकें। ऊपर से डर बना रहता है कि किसी भी समय ये भवन गिर न जाए।
नई बिल्डिंग का बजट मिला है। प्राचार्य का कहना है कि महाविद्यालय को फिलहाल बाणसागर कैनाल विभाग की बिल्डिंग में संचालित किया जा रहा है। नई बिल्डिंग के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है, जल्द निर्माण शुरू होने की बात कही जा रही है। शासन ने जो व्यवस्था दी है उसी से काम चला रहे हैं। उम्मीद है ये अंतिम वर्ष होगा उसके बाद नया भवन मिलेगा। वर्ष 2015 से इसी भवन में संचालित है ये महाविद्यालय। समय समय पर शासन को पत्र लिखकर भेजते रहते हैं।