भोपाल। साल चुनावी हो, नेताओं पर सियासी खुमारी हो, तो दावों और मुद्दों पर बयानों के वार-पलटवार होना लाजिमी है… लेकिन सियासत की जंग में जब जुबानी हमले मर्यादा को लांघने लगे तब सवाल उठना भी लाजिमी है.. प्रदेश में शह-मात की ऐसी ही सियासी बयानबाजी के बीच कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया का एक बयान विवादों के केंद्र में है… भूरिया ने झाबुआ में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पत्नी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी कर दी.. भूरिया के बयान पर बीजेपी ने सख्त तेवर अपनाते हुए कांग्रेस को महिला विरोधी बता दिया… अब, सवाल है कि चुनावी साल में ऐसे बयानों से आखिर किसका नफा और किसका नुकसान होगा… इसी मुद्दे पर आज करेंगे चर्चा ‘माना कि चुनाव है- जुबान क्यों बेलगाम है?’
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर ये बयान है कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया का। भूरिया इसके पहले सांसद रह चुके हैं,केंद्र में मंत्री पद की कुर्सी संभाल चुके हैं। लेकिन चुनावी मौसम में कार्यकर्ताओं के सामने उनकी जुबान ऐसी फिसली की वो मर्यादा ही भूल गए।
मौका था झाबुआ जिले के राणापुर में हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन का, जहां बात महिलाओं को लेकर बीजेपी के फैसलों की हुई, तो भूरिया ने प्रधानमंत्री पर ही अमर्यादित बयान दे डाला। भूरिया के इस बयान पर बीजेपी ने सख्त तेवर अपनाते हुए कहा है कि ये महिलाओं को लेकर कांग्रेस की नीयत है और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा।
भूरिया का ये वीडियो वायरल होकर तब सुर्खियों में आया है, जब कांग्रेस ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर आदिवासी कार्ड चला है। वीडियो से कटघरे में आई कांग्रेस पर आरोप लग रहे हैं कि वो मुद्दों से भटकाने क राजनीति करते है
प्रधानमंत्री मोदी पर अमर्यादित टिप्पणी कर राजा पटेरिया भी जेल की हवा खा चुके हैं। चुनावी मौसम में नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप एक बार फिर मर्यादा की हदें पार करने लगा है। मगर ये ध्यान रखना होगा कि सियासत में एक गलत बयान जीत-हार के सारे समीकरण बदल देता है। गुजरात चुनाव के समय सोनिया गांधी का मौत के सौदागर वाला बयान और 2014 के आम चुनाव से पहले मणिशंकर अय्यर का चायवाला किसी को नहीं भूलना चाहिए।