चुनावी रेस में आगे कौन? भाजपा-कांग्रेस दोनों ही सियासी दल कर रहे हैं जीत के दावे

चुनावी रेस में आगे कौन? दोनों ही सियासी दल कर रहे हैं जीत के दावे! Who is ahead in the election race? Both the parties are claiming victory

  •  
  • Publish Date - October 18, 2021 / 11:39 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

भोपाल: प्रदेश की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव ने जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस में चुनाव की सारी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर है। इसके उलट बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा अलग-अलग इलाकों में हर दिन तो पहुंच ही रहे हैं, साथ ही प्रभारी बनाए गए मंत्री भी लगातार इन चारों ही सीटों पर डेरा जमाए हुए हैं। इसके अलावा बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बूथ स्तर पर बेहद सक्रियता से अपनी मौजूदगी दिखा रहे हैं। हालांकि जीत के दावे दोनों ही सियासी दल कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि चुनावी रेस में आगे कौन है?

Read More: शिक्षकों ने स्कूली बच्चों से वसूले अवैध फीस! शिकायत के बाद BEO ने जारी किया पैसे वापस करने का आदेश

मध्यप्रदेश में 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार जोरों पर हैं। वोटिंग में दो सप्ताह से भी कम समय बचा हैं इसलिए कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन दोनों ही पार्टियों का प्रचार देखे तो बीजेपी बढ़त पर हैं। बीजेपी की तरफ से सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने मोर्चा संभाला है जबकि कांग्रेस की तरफ से अकेले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मैदान में है। बीजेपी ने भोपाल में मंत्री भूपेंद्र सिंह को तैनात कर रखा है, जो प्रबंधन समिति के अध्यक्ष है जबकि कांग्रेस में ये जिम्मेदारी भी कमलनाथ को ही संभालनी पड़ रही है। बीजेपी ने हर विधानसभा सीट पर दो–दो मंत्री और कई विधायकों की तैनाती की है। जबकि अजय सिंह और अरुण यादव की सक्रियता को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस से काफी कम विधायक मैदान में नजर आ रहे हैं। बीजेपी थोड़े थोड़े अंतराल पर विजय संकल्प पर्व, एक मतदान बीस जवान। जनसंघ से भाजपा और प्रबुद्धजन सम्मेलन जैसे कार्यक्रम के जरिए मतदाताओं में पैठ बना रही है इसके उलट कांग्रेस पारंपरिक तरीके से प्रचार में लगी है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी बीजेपी कई मुद्दों के जरिए भी कांग्रेस को घेर रही है और शायद यहीं वजह है कि बीजेपी को अपनी जीत का पूरा भरोसा है।

Read More: बाबा महाकाल के दरबार में हो रही धन वर्षा, 3 महीने में भक्तों ने दान में दिया 23 करोड़ रुपए

मुद्दा दोनों ही पार्टियों के प्रचार-प्रसार को लेकर है लिहाजा कुछ आंकड़ों पर और नजर डालिए। 13 अक्टूबर को उपचुनाव के लिए नाम वापसी की आखिरी तारीख थी। उसके बाद से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिर्फ तीन सभाएं पृथ्वीपुर, नेपानगर और मांधाता में की। जबकि दिग्विजय सिंह सिर्फ पृथ्वीपुर से कांग्रेस उम्मीदवार नितेंद्र राठौर के नामांकन में दिखाई दिए थे। दूसरी तरफ बीते तीन दिन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 8 आमसभाएं ले चुके हैं। इतने ही कार्यक्रम के जरिए प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने बीजेपी उम्मीदवार का प्रचार किया है। अगले कुछ दिनों में बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर,ज्योंतिरादित्य सिंधिया के अलावा उमा भारती और पंकजा मुंडे भी प्रचार में दिखाई देंगी। जबकि कांग्रेस की तरफ से सिर्फ सचिन पायलट का दौरा होना है। दिग्विजय सिंह भी आखिरी सप्ताह में ही प्रचार के दौरान दिखाई देंगे। इस सबके बावजूद कांग्रेस को अपने दमोह मॉडल का भरोसा है। पार्टी को लगता है कि दमोह में जिस तरह से बीजेपी ने प्रचारकों की फौज उतार दी थी। बावजूद इसके कांग्रेस को यहां 17 हजार वोटों से जीत हासिल हुई थी।

Read More: पूर्व मंत्री सज्जन सिंह ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से की मुलाकात, फिर गर्म हुआ चर्चाओं का बाजार

बहरहाल इन उपचुनाव के परिणाम से न तो प्रदेश की सरकार को खतरा है न केंद्र की। लेकिन इतना तय है कि ये परिणाम 2023 के लिए संकेत तो होंगे ही। इन चुनावों में हार- जीत कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ताओ के लिए 2023 में बूस्टर का भी काम करेगी।

Read More: चुनावी सभा के दौरान का मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का वीडियो वायरल, कांग्रेस ने लगाया महिला प्रत्याशी के साथ अनैतिक व्यवहार का आरोप