मुंबई, दो दिसंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि कुछ ऐसे बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को मुंबई में मतदाताओं के बारे में जानकारी एकत्र करने का काम सौंपा गया था, जो ‘‘पढ़ या लिख नहीं सकते।’’ उन्होंने मसौदा सूची में मतदाताओं के नाम कई बार दर्ज होने का आरोप लगाया।
राज्य के पूर्व मंत्री ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने मुंबई के 227 नगर निगम वार्ड में से प्रत्येक में 3,000 से 4,000 आपत्तियाँ दर्ज की हैं।
उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के पदाधिकारी और प्रमुख संगठन मसौदा मतदाता सूचियों की पड़ताल कर रहे हैं और अनियमितताओं की तलाश कर रहे हैं।
ठाकरे ने दावा किया कि मसौदा मतदाता सूची में 14 लाख ऐसे मतदाताओं के नाम हैं, जिनके नाम कई बार दर्ज हैं तथा इनमें से अधिकतर ‘मराठी, राजनीतिक कार्यकर्ता और विपक्षी दलों के जनप्रतिनिधि’ हैं।
उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग पर मतदाताओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और सत्यापित करने के लिए ऐसे बीएलओ भेजने का आरोप लगाया जो पढ़-लिख नहीं सकते।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग पढ़-लिख नहीं सकते, वे बीएलओ बनकर लोगों के घर जा रहे हैं। आप (निर्वाचन आयोग) ऐसे लोगों को भेज रहे हैं जो लिखना-पढ़ना भी नहीं जानते।’
चुनाव निकायों के प्रमुख अधिकारियों के निलंबन की मांग करते हुए ठाकरे ने कहा कि निर्वाचन आयोग एक ‘सर्कस’ बन गया है।
उन्होंने कई प्रविष्टियों वाले मतदाताओं के उदाहरण दिए और दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील शिंदे का नाम अलग-अलग उम्र, पते और तस्वीरों के साथ मसौदा सूची में सात बार आया, जबकि मुंबई की पूर्व मेयर श्रद्धा जाधव का नाम मतदाता सूची में आठ बार आया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक ज्योति गायकवाड और मुंबई दक्षिण मध्य के सांसद अनिल देसाई के नाम भी मसौदा सूची में कई बार आए।
ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि हर मतदान केंद्र पर मृत मतदाताओं के नाम हैं और ऐसा उनके परिवारों द्वारा उनके मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करने के बावजूद है।
देश के सबसे अमीर नगर निकाय, बृहन्मुंबई महानगर पालिका के चुनाव अगले महीने की शुरुआत में होने वाले हैं।
भाषा अमित पवनेश
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