देश को बेहतर बनाना नागरिकों के हित में: आरएसएस प्रमुख भागवत

देश को बेहतर बनाना नागरिकों के हित में: आरएसएस प्रमुख भागवत

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  • Publish Date - October 10, 2025 / 10:39 PM IST,
    Updated On - October 10, 2025 / 10:39 PM IST

नागपुर, 10 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि अपने देश का निर्माण करना और उसे बेहतर बनाना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है तथा इससे अंततः नागरिकों के ही हितों की रक्षा होती है।

भागवत ने नागपुर में एक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा, “अपने देश का निर्माण करना और उसे बेहतर बनाना हमारा कर्तव्य है तथा ऐसा करके हम अपने ही हितों की रक्षा करते हैं। जो देश अच्छा प्रदर्शन करता है, वह सुरक्षित होता है और दुनियाभर में सम्मान हासिल करता है।”

आरएसएस के उदय का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि डॉ. केशव हेडगेवार ने नागपुर में संगठन की स्थापना की, क्योंकि इस शहर में पहले से ही नि:स्वार्थ सेवा और सामाजिक जागरूकता की भावना थी।

उन्होंने कहा, “हालांकि, देशभर में ऐसे लोग हैं, जो हिंदुत्व पर गर्व करते हैं और हिंदुओं के बीच एकता का आह्वान करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि आरएसएस जैसा संगठन केवल नागपुर में ही आकार ले सकता था। त्याग और सामाजिक प्रतिबद्धता की भावना यहां पहले से ही मौजूद थी, जिसने संघ की स्थापना में डॉ. हेडगेवार की मदद की।”

भागवत ने कहा कि आरएसएस पूरे देश और हिंदू समाज के लिए काम करता है। उन्होंने कहा कि नागपुर अपने स्वयंसेवकों के दिल में खास जगह रखता है, लेकिन वह किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं करता।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘स्वराज्य’ प्राप्त करने की दिशा में प्रयास व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि “ईश्वर, धर्म और राष्ट्र” के लिए शुरू किए थे।

उन्होंने कहा, “जब शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना शुरू की, तो उन्होंने अपने मित्रों को अपने लिए नहीं, बल्कि एक बड़े उद्देश्य के लिए इकट्ठा किया। उनकी एकता की भावना ने लोगों को शक्ति प्रदान की। जब तक उनके आदर्शों ने समाज को प्रेरित किया, उस काल का इतिहास प्रगति और विकास को प्रतिबिंबित करता रहा।”

भागवत ने कहा कि शिवाजी महाराज के दृष्टिकोण ने देशभर के शासकों और स्वतंत्रता सेनानियों को प्रभावित किया और यहां तक ​​कि 1857 के विद्रोह को भी प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने व्यवस्थित रूप से उन प्रेरणादायक भारतीय प्रतीकों को नष्ट करने का प्रयास किया, जिन्होंने लोगों को एकजुट किया था और प्रतिरोध की भावना को मजबूत किया था।

भागवत ने कहा, “हमें अपने अतीत से सीखने की जरूरत है कि कैसे लोगों ने समाज की भलाई के लिए नि:स्वार्थ भाव से संघर्ष किया।”

उन्होंने कहा, “हमारे इतिहास में भारत को शांति और समृद्धि का देश बनाने की पर्याप्त शक्ति है, जो विश्व में योगदान दे सके।”

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप