पोर्श कार दुर्घटना: किशोर न्याय बोर्ड के दो बर्खास्त सदस्यों ने उच्च न्यायालय का रुख किया

पोर्श कार दुर्घटना: किशोर न्याय बोर्ड के दो बर्खास्त सदस्यों ने उच्च न्यायालय का रुख किया

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  • Publish Date - April 25, 2025 / 08:44 PM IST,
    Updated On - April 25, 2025 / 08:44 PM IST

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के दो बर्खास्त सदस्यों द्वारा दायर याचिकाओं पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिनमें पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में कथित रूप से शामिल एक किशोर आरोपी को दी गई जमानत के संबंध में उनकी सेवाओं को समाप्त किये जाने को चुनौती दी गई है।

पिछले वर्ष अक्टूबर में सरकार ने प्रक्रियागत खामियों और किशोर न्याय अधिनियम के तहत शक्तियों के दुरुपयोग का हवाला देते हुए जेजेबी के दो सदस्यों एल एन दानवड़े और कविता थोराट की सेवाएं समाप्त कर दी थीं।

यह कार्रवाई महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग द्वारा की गई जांच के बाद की गई, जिसमें उन्हें किशोर को जमानत देते समय कदाचार और मानदंडों का पालन न करने का दोषी पाया गया।

अपनी सेवाएं समाप्त होने के बाद, दानवड़े और थोराट ने अधिवक्ता हर्षवर्धन पवार के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दलील दी कि जेजेबी से उनका निष्कासन ‘‘अवैध’’ था।

न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की पीठ ने 23 अप्रैल को राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 18 जून को तय की।

थोराट ने अपनी याचिका में दावा किया था कि सरकार ने पिछले साल जून में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका उन्होंने जवाब दे दिया था।

जांच की गई, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।

याचिका में दावा किया गया कि हालांकि, जांच रिपोर्ट की प्रति याचिकाकर्ता को नहीं दी गई।

इसमें दावा किया गया है कि इसलिए, याचिकाकर्ता की किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी), पुणे के सदस्य के रूप में नियुक्ति समाप्त करने की कार्रवाई अवैध है।

पिछले साल 19 मई को शराब के नशे में 17 वर्षीय एक लड़के द्वारा कथित तौर पर चलाई जा रही पोर्श कार ने पुणे के कल्याणी नगर इलाके में दो आईटी पेशेवरों को टक्कर मार दी थी।

दानवड़े ने नाबालिग आरोपी को साधारण शर्तों पर जमानत दे दी थी, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। जमानत की शर्तों में सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखना भी शामिल था।

आरोपी किशोर को जमानत दिये जाने पर आक्रोश भड़कने के बाद पुणे पुलिस ने जेजेबी से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। इसके बाद बोर्ड ने आदेश में संशोधन करते हुए किशोर को पर्यवेक्षण गृह भेज दिया। जून में उच्च न्यायालय ने किशोर को रिहा करने का आदेश दिया था।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव