Aja Ekadashi Vrat Katha : अजा एकादशी के दिन ज़रूर पढ़ें ये व्रत कथा, पापों से मिलेगी मुक्ति साथ ही साथ अंत समय में होगी स्वर्गलोक की प्राप्ति
On the day of Aja Ekadashi, you will get freedom from sins and at the end you will attain heaven
Aja Ekadashi Vrat Katha
Aja Ekadashi Vrat Katha : भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 18 अगस्त को शाम 5.23 बजे शुरू होगी और 19 अगस्त को दोपहर 3.33 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के चलते अजा एकादशी 19 अगस्त को रखी जाएगी। अजा एकादशी के बारे में बताते हुए भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था, “अजा एकादशी पर व्रत रखकर विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्ति पा सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
अजा एकादशी का महत्व यह है कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, मोक्ष की प्राप्ति होती है, आर्थिक स्थिति सुधरती है और सुख-समृद्धि आती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और दान-पुण्य किया जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से राजा हरिश्चंद्र को भी खोया हुआ राज्य और परिवार वापस मिला था, और व्यक्ति को अंत में स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।
Aja Ekadashi Vrat Katha
अजा एकादशी व्रत कथा
कुंतीपुत्र युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? व्रत करने की विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए। मधुसूदन कहने लगे कि इस एकादशी का नाम अजा है। यह सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली है। जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है। अब आप इसकी कथा सुनिए।
प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया।
Aja Ekadashi Vrat Katha
वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, जिससे मेरा उद्धार हो।
इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दु:खभरी कहानी कह सुनाई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो।
Aja Ekadashi Vrat Katha
गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएँगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए।
स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को पुन: राज्य मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया।
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अजा एकादशी पर करें इस शक्तिशाली मंत्र का जाप
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
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