Publish Date - February 2, 2025 / 07:59 AM IST,
Updated On - February 2, 2025 / 09:09 AM IST
Basant Panchami 2025. Image Source- IBC24 Archive
नई दिल्लीः Basant Panchami 2025 बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी 2 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा। हमारे ग्रंथों में बसंत पंचमी के दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था इसलिए यह दिन मां सरस्वती को समर्पित है। बुद्धि की प्राप्ति के लिए, ज्ञान की प्राप्ति के लिए, संगीत के क्षेत्र में, कला के क्षेत्र में, उन्नति के लिए लोग मां सरस्वती का विशेष पूजन बसंत पंचमी के दिन करते हैं। ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन स्कूलों में मंदिरों में लोग विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
प्रातः काल स्नान कर पूजा स्थल पर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं, उस पर मां सरस्वती का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद कलश, भगवान गणेश और नवग्रह पूजन कर मां सरस्वती की पूजा करें। मिष्ठान का भोग लगाकर आरती करें। बसंत पंचमी पर नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन, कर्णवेधन, मुंडन, अक्षरारंभ आदि शुभ कार्य किए जाएंगे। इस दिन शुभ चौघड़िया में सरस्वती की आराधना शुभकारी रहेगी। मान्यता है कि बसंत पंचमी को संगीत की उत्पत्ति के कारण यह दिन संगीत व वाद्य यंत्र सीखने के लिए श्रेष्ठ तिथि के रूप में मानी जाती है।
बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी, 2025 को रविवार को मनाई जाएगी।
बसंत पंचमी का महत्व क्या है?
बसंत पंचमी का पर्व विशेष रूप से मां सरस्वती के पूजन के लिए होता है। इस दिन को ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह दिन मां सरस्वती के जन्म का दिन है।
मां सरस्वती की पूजा का सही मुहूर्त क्या है?
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का मुहूर्त 2 फरवरी, 2025 को सुबह 07:09 AM से 12:35 PM तक है। इस अवधि में पूजा करना शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी पर कौन से विशेष कार्य किए जा सकते हैं?
इस दिन नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन, कर्णवेधन, मुंडन, अक्षरारंभ जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं। इसे शुभ चौघड़िया में करने से लाभ होता है।
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा कैसे करें?
प्रातः स्नान करके पूजा स्थल पर पीला वस्त्र बिछाएं और मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर गणेश व नवग्रह पूजन करें, मिष्ठान का भोग अर्पित करके आरती करें।