बच्चों की रामलीला! यहां 103 वर्षों से हो रही बच्चों की रामलीला, नन्हे-मुन्हों की कलाकारी देख गदगद हो रहे लोग

  •  
  • Publish Date - October 6, 2022 / 09:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

Children’s Ramlila: भाटापारा। भाटापारा में श्री आदर्श रामलीला नाटक मंडली के द्वारा भगवान राम के के चरित्र का मंचन किया जा रहा है, ऐतिहासिक तरीके से 103वें वर्ष का मंचन जारी है । नन्हे नन्हे बच्चों की कलाकारी के कारण इस रामलीला को बच्चों की रामलीला भी कहा जाता है भाटापारा में नवरात्र के पर्व पर प्रतिवर्ष श्री आदर्श रामलीला नाटक मंडली के द्वारा तुलसीदास रचित श्री रामचरित मानस के आधार पर भगवान राम के चरित्र का मंचन किया जाता है,भाटापारा की रामलीला अंग्रेजों के समय के सन 1920 से प्रारंभ हुआ है, जो 100 वर्ष पूर्ण कर ऐतिहासिकता की ओर बढ़ रही है।

read more: 7 की बड़ी बात | सुबह 7 बजे की खबरें| CG Latest News Today | MP Latest News Today | 06 October 2022

इस वर्ष 103 वें वर्ष का मंचन जारी है,इस रामलीला के साहित्य को रामचरित मानस के साथ रामचरित दर्पण,राधेश्याम रामायण,आर्य संगीत रामायण,वसुनायक,एवं श्रीरामायण जैसे अनेक रामायणों से मिलाकर तैयार किया गया है। इस रामलीला में 5 वर्ष से बच्चों से लेकर बुजुर्ग कलाकार भी कार्य करते हैं। इस रामलीला में नन्हे नन्हे बच्चे भाग लेते हैं और अपनी संस्कृति से जुड़ने के साथ संस्कृत और हिंदी का अध्ययन भी करते हैं । जिसके कारण भाटापारा की इस रामलीला को बच्चो की रामलीला एवं रामलीला की पाठशाला भी कहा जाता है।

नवरात्र के 9 दिनों में रामलीला के द्वारा नारदमोह- धनुषयज्ञ- सीताहरण- रामसुग्रीव मित्रता- बालीवध- मेघनाथ कुम्भकर्ण वध जैसे भव्य लीलाओं का मंचन किया जाता है। वहीं नवमी के अवसर पर अहिरावण वध-देवी लीला दिखाई जाती है जो भाटापारा क्षेत्र के लिये प्रसिद्ध मंचन रहता है। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में दर्शक उमड़ते हैं।

read more: इस क्रिकेटर लगा नाबालिग से रेप का आरोप , क्रिकेटर ने पोस्ट शेयर कर कहा – मैं आ रहा हूं…

वही दशहरा में रावणभाठा मैदान में रावण वध की लीला के मंचन पश्चात रावण जलाया जाता है, दशहरा मैदान में लगभग 15 हजार से ऊपर लोगों का जमावड़ा होता है। 11 वें दिन राजगद्दी की लीला के साथ रामलीला का समापन होता है । रामलीला के प्रमुख व्यास प्रकाश शर्मा ने बताया कि आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए बॅकग्राउंड पर्दो के स्थान पर एलईडी का उपयोग किया जा रहा है वहीं सभी भगवान की मूर्तियों के मुकुट चांदी के होते हैं ।