Ganesh Chaturthi 2022 Tulsi had cursed Lord Ganesha Know this reason

Ganesh Chaturthi 2022: ये काम करने से मना करने पर तुलसी ने दिया था भगवान गणेश को श्राप, पढ़िए इसके पीछे की रोचक कहानी

Ganesh Chaturthi 2022: आज से पूरे देश में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। पंडाल, ऑफिस और घर-घर गणपति भगवान विराजित हो गए हैं।

Edited By :   Modified Date:  November 28, 2022 / 10:46 PM IST, Published Date : August 31, 2022/6:56 pm IST

Ganesh Chaturthi 2022: आज से पूरे देश में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। पंडाल, ऑफिस और घर-घर गणपति भगवान विराजित हो गए हैं। चारों तरफ विघ्न विनाशक बप्पा की पूजा हो रही है। हर तरफ गणपति बप्पा मोरया के नारे गूंज रहे हैं। अगले 10 दिनों तक पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा की जा रही है। पुराणों में भगवान गणेश से जुड़ी कई मान्यताएं मिलती हैं। इनमें से एक है गणपति और तुलसी की कहानी। आज हम इसी के बारे में जानते हैं।

ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, मां पार्वती ने संतान पाने के लिए पुण्यक व्रत रखा था। माना जाता है कि इस व्रत की महिमा से ही मां पार्वती को गणेश जी संतान के रूप में मिले थे। ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, जब सभी भगवान गणेश जी को आशीर्वाद दे रहे थे, उस समय शनि देव सिर को झुकाए खड़े थे। ये देखने पर मां पार्वती ने उनसे उनका सिर झुका कर खड़े होने का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर वे गणेश जी को देखेंगे तो हो सकता है कि उनका सिर शरीर से अलग हो जाएगा। लेकिन पार्वती जी के कहने पर शनि देव ने गणेश जी की ओर नजर उठाकर देख लिया, जिसके परिणामस्वरूप गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हो गया।

ब्रह्मावैवर्त पुराण में ये भी बताया गया है कि शनि देव के देखने पर जब गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हुआ तो उस समय भगवान श्रीहरि ने अपना गरुड़ उत्तर दिशा की ओर फेंका, जो पुष्य भद्रा नदी की तरफ जा पहुंचा था। वहां पर एक हथिनी अपने एक नवजात बच्चे के साथ सो रही थी। भगवान श्रीहरि ने अपने गरुड़ की मदद से हथिनी के बच्चे सिर काटकर गणेश जी के शरीर पर लगा दिया था, जिसके बाद एक बार फिर गणेश जी को जीवन मिला।

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ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने एक बार गुस्से में सूर्य देव पर त्रिशूल से वार किया था। भगवान शिव की इस बात से सूर्य देव के पिता बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दिया कि जिस तरह भगवान शिव ने उनके पुत्र के शरीर को नुकसान पहुंचाया है ठीक उसी प्रकार एक दिन भगवान शिव के पुत्र यानी गणेश जी का शरीर भी कटेगा।

एक और भी पौराणिक कथा है कि एक दिन तुलसी देवी गंगा घाट के किनारे से गुजर रही थीं। उस समय गणेश जी वहां पर ध्यान कर रहे थे। गणेश जी को देखते ही तुलसी देवी उनकी ओर आकर्षित हो गईं और गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दे दिया। लेकिन गणेश जी ने इस प्रस्ताव से मना कर दिया था। गणेश जी से न सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसीदेवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

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इस पर गणेश जी ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। ये शाप सुनते ही तुलसी गणेश भगवान से माफी मांगने लगीं। तब गणपति ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। गणेश भगवान ने कहा कि तुलसी कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा। इसलिए गणेश भगवान को तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है।

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