Holi 2025/ Image Credit: IBC24
नई दिल्ली: Holi 2025: होली को रंगो का उत्सव कहा जाता है और होली का त्यौहार हर किसी के मन में उमंग भरता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी होली के रंगों में सराबोर होते हैं। लोगों को लगता है कि, देश के हर कोने में होली का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है भारत में कुछ ऐसी जगह भी है जहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। इन जगहों में होली न मानाने के पीछे की वजह भी लोग बतातें हैं, जो आज हम आपको बताएंगे। इस बार 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दौरान कई जगहों पर होली के रंग नहीं दिखाई देते। आज हम आपको उन जगहों और कारणों के बारे में बताएंगे जिसके चलते होली नहीं मनाई जाती।
Holi 2025: सबसे पहले बात उत्तराखंड की। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले दो ऐसे गांव हैं जहां होली नहीं मनाई जाती। ये दोनों गांव खुरजान और क्विली है। दोनों गांवों में 150 से भी अधिक सालों से होली नहीं खेली गई है। इन गांव के लोगों के मानना है कि इनकी कुल देवी को शोर-शराबा पसंद नहीं हैं। यहां के लोग मानते हैं कि अगर ये होली का त्योहार मनाएंगे तो देवी उनसे नाराज हो जाएंगी और इसके कारण गांव में दुख-विपदा आ सकती है।
Holi 2025: अब बात करते हैं गुजरात की। वैसे तो गुजरात में हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन यहां भी एक ऐसी जगह है जहां होली नहीं मनाई जाती और यह जगह है रामसन। रामसन नाम की इस जगह में 200 से अधिक सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। यहां के लोगों का मानना है कि अपने जीवनकाल के दौरान श्रीराम इस स्थान पर भी आए थे इसलिए इसका नाम रामसन है जिसे रामेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यहां होली न मनाने के पीछे 2 मुख्य कारण हैं। माना जाता है कि 200 साल पहले होलिका दहन के दौरान इस गांव में आग लग गई थी और कई घर जल गए थे जिसके कारण लोगों ने तब से होली मनाना बंद कर दिया। यह भी माना जाता है कि साधु संत इस गांव के लोगों से किसी वजह से नाराज हो गए थे और उन्होंने श्राप दिया था कि अगर इस गांव में होलिका दहन होगा तो पूरे गांव में आग लग जाएगी। तब से यहां के लोगों ने होलिका दहन करना और होली खेलना बंद कर दिया।
Holi 2025: इस लिस्ट में तीसरा नाम झारखंड का है। झारखंड के दुर्गापुर नामक एक गांव में लगभग 100 सालों से होली नहीं खेली गई है। यहां मान्यता है कि यहां के राजा के बेटे की मृत्यु होली के दिन हो गई थी और उसके अगले साल राजा भी होली के दिन चल बसे। अंतिम सांसे लेते हुए राजा ने गांव के लोगों से कहा कि गांव के लोगों को होली नहीं मनाई चाहिए, इसके बाद से ही इस गांव के लोगों ने होली मनानी बंद कर दी।