सैकड़ों साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग, इन ग्रहों के दोषों से मिल सकती है मुक्ति

सैकड़ों साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग, इन ग्रहों के दोषों से मिल सकती है मुक्ति

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  • Publish Date - February 19, 2020 / 10:07 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

रायपुर। 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। कथाओं के मुताबिक प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि या कालरात्रि भी कहा गया है। महाशिवरात्रि को की गई पूजा-अर्चना, जप दान आदि का फल कई गुना होता है।

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जानकारी के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। साल 2020 की महाविशरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। यह एक दुर्लभ संयोग है, जब ये दोनों बड़े ग्रह महाशिवरात्रि पर इस स्थिति में रहेंगे। इससे पहले ऐसी स्थिति वर्ष 1903 में बनी थी। इस योग में भगवान शिव की आराधना करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।

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महाशिवरात्रि एक सिद्ध दिन और महापर्व होता ही है पर इस बार महाशिवरात्रि पर पूरे दिन ‘सर्वार्थ सिद्धि’ योग भी उपस्थित रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग को सभी कार्यों की सफलता के लिए बहुत शुभ माना गया है। इससे इस बार महाशिवरात्रि के पर्व का महत्त्व कई गुना बढ़ गया है इसलिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के निमित्त की गयी पूजा अर्चना, दान, जप तप आदि कई गुना परिणाम देने वाले होंगे साथ ही इस दिन अपने सभी नए कार्यों का आरम्भ या सभी महत्वपूर्ण कार्य भी किए जा सकेंगे।

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इस बार महाशिवरात्रि के दिन शाम 5 बजकर 21 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी शुरू हो जाएगी। वास्तव में त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होने पर ही महाशिवरात्रि का पुण्यकाल आरंभ होता है।जानकारों के मुताबिक दोनों के संगम काल में शिव जलाभिषेक शाम 5.21 बजे किया जाए तो अत्यन्त श्रेष्ठ है। शिव का जलाभिषेक दूध, दही, शहद, घी, शर्बत, गंगाजल से किया जाता है।