Dattatreya Jayanti 2025: आज है दत्तात्रेय जयंती, जानिए कौन हैं भगवान दत्तात्रेय और कब है उनकी पूजा का सबसे शुभ समय?

आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी। दत्तात्रेय जी की पूजा मुख्य रूप से नाथ संप्रदाय, अवधूत परंपरा और योग साधक करते हैं। जानिए कौन हैं भगवान दत्तात्रेय और उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि।

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  • Publish Date - December 4, 2025 / 10:17 AM IST,
    Updated On - December 4, 2025 / 10:19 AM IST

(Dattatreya Jayanti 2025, Image Credit: IBC24 Archive)

HIGHLIGHTS
  • दत्तात्रेय जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मनाई जाती है, इस साल 4 दिसंबर 2025 को।
  • भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार माना जाता है।
  • पूजा मुख्य रूप से नाथ सम्प्रदाय, अवधूत परंपरा और योग साधक करते हैं।

Dattatreya Jayanti 2025: हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय की पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार, अगहन पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इस साल यह पर्व 4 दिसंबर 2025 को मनाया जाएगा।

कौन हैं भगवान दत्तात्रेय?

धर्मग्रंथों के मुताबिक, दत्तात्रेय का जन्म ऋषि अत्रि और माता अनुसूया के घर हुआ। इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से त्रिदेवों की आराधना के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। दत्तात्रेय जी अपने 24 गुरुओं के कारण भी प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने उन्हें जीवन और साधना की शिक्षा दी।

भगवान दत्तात्रेय की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि 04 दिसंबर 2025 गुरुवार को सुबह 08:37 बजे शुरू होगी और यह 05 दिसंबर 2025 शुक्रवार को प्रातः 04:43 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 4 दिसंबर को ही भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाएगी।

पूजा का समय

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:14 – 06:06 बजे
  • अभिजित मुहूर्त: कोई नहीं
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:58 – 06:24 बजे
  • अमृत काल: दोपहर 12:20 – 01:58 बजे

दत्तात्रेय मंत्रों का जाप

भगवान दत्तात्रेय की पूजा में मंत्र जाप अत्यंत महत्वपूर्ण है। कम से कम 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाता है।

मंत्र

  • ऊं द्रां दत्तात्रेयाय नमः
  • ॐ श्री गुरुदेव दत्त

दत्तात्रेय पूजा की विधि

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके व्रत-पूजा का संकल्प लें।
  • पूजा स्थान को साफ करके लकड़ी का पाटा या चौकी रखें।
  • लाल कपड़ा बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • सबसे पहले फूल और माला अर्पित करें।
  • शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • गुलाल, अबीर, चंदन, जनेऊ आदि सामग्रियां एक-एक करके अर्पित करें।
  • विधिपूर्वक आरती करें और अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
  • संभव हो तो पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन, अनाज या वस्त्र का दान करें।

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दत्तात्रेय जयंती कब मनाई जाती है?

यह हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल 4 दिसंबर 2025 को है।

भगवान दत्तात्रेय कौन हैं?

धर्मग्रंथों के अनुसार, दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र हैं और इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार माना जाता है।

दत्तात्रेय पूजा में कौन सा मंत्र जाप करें?

कम से कम 108 बार “ऊं द्रां दत्तात्रेयाय नमः” और “ॐ श्री गुरुदेव दत्त” मंत्र जाप करें, रुद्राक्ष माला का उपयोग करके।

पूजा की मुख्य विधि क्या है?

स्नान और संकल्प के बाद, प्रतिमा/चित्र स्थापित करें, फूल और माला अर्पित करें, दीपक जलाएं, चंदन और भोग अर्पित करें, आरती करें और संभव हो तो दान करें।