Navratri vrat niyam
Navratri Vrat Niyam: शारदीय नवरात्रि 2025 (22 सितंबर से 1अक्टूबर) भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और आत्म-संयम का पवित्र पर्व है। इस दौरान लाखों लोग माँ दुर्गा की उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं। व्रत के नियम सख्त होते हैं, और भक्तों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या नवरात्रि के व्रत के दौरान चाय या कॉफी पी सकते हैं? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चाय और कॉफी आधुनिक जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन व्रत की सात्विकता और परंपराओं के अनुसार इनका सेवन विवाद का विषय हो सकता है। आइए, इस प्रश्न का उत्तर धार्मिक, सात्विक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विस्तार से समझते हैं-
नवरात्रि व्रत में भोजन और पेय पदार्थों के सेवन के नियम सात्विकता और शुद्धता पर आधारित हैं। परंपरागत रूप से, व्रत के दौरान केवल सात्विक और शुद्ध भोजन-पेय की अनुमति होती है, जो मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध रखें। चाय और कॉफी में कैफीन होता है, जो एक उत्तेजक है। धार्मिक और सात्विक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह मन को उत्तेजित करता है और शांतिपूर्ण ध्यान को बाधित कर सकता है जो सात्विकता के विपरीत है।
अधिकांश हिंदू परंपराओं में चाय और कॉफी को व्रत के दौरान वर्जित माना जाता है क्योंकि ये पेय तामसिक या रजसिक गुणों से युक्त माने जाते हैं चाय और कॉफी आधुनिक पेय हैं, जो प्राचीन शास्त्रों में उल्लिखित नहीं हैं। व्रत में केवल प्राकृतिक और शुद्ध पेय जैसे दूध, छाछ, नींबू पानी, और नारियल पानी की अनुमति होती है।
स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है, लेकिन यह डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) का कारण बन सकता है। व्रत के दौरान शरीर पहले से ही कम भोजन और पानी पर निर्भर होता है, इसलिए कैफीन का सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। व्रत में हल्का भोजन लिया जाता है। चाय और कॉफी अम्लीय होते हैं, जो खाली पेट में एसिडिटी या पेट की जलन पैदा कर सकते हैं।
अक्सर देखा गया हैं कि कई लोग चाय या कॉफी के बिना दिन शुरू नहीं कर पाते। ऐसे में कुछ भक्त हल्की चाय (जैसे ग्रीन टी या हर्बल टी) को व्रत में शामिल करते हैं, बशर्ते वह बिना चीनी और दूध के हो। हालांकि, यह व्यक्तिगत पसंद और स्थानीय परंपराओं पर निर्भर करता है।