देश के इस अनोखे मंदिर में होती है चोर की पूजा, दर्शन मात्र से घर में कभी नहीं होती चोरी!
ऐसा माना जाता है कि ये खटखटा चोर पाप खाकर पेट भरता है और इसके दर्शन करने वाले के घर कभी भी चोरी नहीं होती।
KHATKHATA CHOR
WORSHIP OF THIEF: चित्रकूट। विन्ध्य पर्वत और वनों से घिरे चित्रकूट को प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे बने अनेक घाट और मंदिरों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक तीर्थ है गुप्त गोदावरी। यहां खटखटा चोर दर्शनार्थियों के कौतूहल और आकर्षण का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि ये खटखटा चोर पाप खाकर पेट भरता है और इसके दर्शन करने वाले के घर कभी भी चोरी नहीं होती।
चित्रकूट के गुप्त गोदावरी तीर्थ पर सदियों से ये परंपरा बरकरार है। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु गुफा के अंदर पत्थर के रूप में लटके इस चोर का पूजन करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। गुफा के आसपास दुकानदार व यहां रहने वाले अन्य लोगों से इस चोर के बारे में किवदंतियां सुनी जा सकती हैं।
श्राप बना वरदान
WORSHIP OF THIEF: मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के 11 वर्ष यहीं बिताए थे। गायत्री शक्ति पीठ आश्रम चित्रकूट के प्रमुख डॉ. राम नारायण त्रिपाठी एक किवदंती सुनाते हैं। उनके अनुसार माता सीता एक दिन गुप्त गोदावरी गुफा में स्नान कर रहीं थी। इसी दौरान मयंक नाम के राक्षस ने उनके वस्त्र चोरी कर लिए। इस पर सीता जी ने अपने सिर के बाल उखाड़ कर उसे श्राप दिया। इससे मयंक राक्षस पत्थर का बन गया। जब उसने अनुनय-विनय की कि इस तरह तो वह भूखा मर जाएगा। तब माता सीता ने उससे गुफा में आने वालों के पाप खाकर भूख मिटाने और युगो-युगों तक उसका नाम बने रहने का वरदान दिया।
ऐसे मिलते दर्शन
WORSHIP OF THIEF: चित्रकूट में कामदगिरि परिक्रमा, स्फटिक शिला, सती अनुसुइया आश्रम के बाद गुप्त गोदावरी दर्शन की महत्ता मानी जाती है। गुप्त गोदावरी में सीढिय़ों से चढ़कर जब प्रथम गुफा के अंदर पहुंचते हैं तो खटखटा चोर के दर्शन मिलते हैं। इससे आगे दूसरी गुफा में अलग-अलग कुंड दिखाई देते हैं।
श्रद्धालुओं का लगता जमावड़ा
प्रतिमाह अमवस्या पर दो लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।
15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दीपावली या अन्य विशेष पर्व पर आते हैं।
25 हजार श्रद्धालु तीर्थ स्थलों के दर्शन करने प्रतिदिन आते हैं।
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