Jagannath Rath Yatra 2025 : 26 या 27 कब है जगन्नाथ रथ यात्रा? जानिए क्या है इसकी सही तिथि और इसका महत्व

Jagannath Rath Yatra 2025 : 26 या 27 कब है जगन्नाथ रथ यात्रा? जानिए क्या है इसकी सही तिथि और इसका महत्व

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  • Publish Date - June 15, 2025 / 03:38 PM IST,
    Updated On - June 15, 2025 / 03:40 PM IST

Jagannath Rath Yatra 2025/ Image Credit: Meta AI

HIGHLIGHTS
  • 27 जून को है रथ यात्रा।
  • इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाएगी।
  • जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुरी। Jagannath Rath Yatra 2025 : ओडिशा के पुरी में हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ यात्रा शुरू होकर दशमी तिथि तक चलती है। इस बार यह यात्रा 27 जून से शुरू होकर 5 जुलाई को समाप्त होगी। इस अवसर पर देशभर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जा रही है। रथ यात्रा के अवसर पर पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसके लिए कई महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। तो चलिए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।

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सही तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 26 जून दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 27 जून सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में यह पर्व 27 जून को मनाया जाएगा। वहीं यह यात्रा नौं दिनों तक चलेग जो 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी।

बता दें कि, इस त्योहार के दौरान तीन देवताओं – जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भक्तों द्वारा तीन विशाल लकड़ी के रथों में गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है, जहां वे एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं। माना जाता है कि जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद उनके भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

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Jagannath Rath Yatra 2025 :  रथ यात्रा का महत्व

मान्यता है कि, यह यात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समुदाय को जोड़ने, सामाजिक समरसता बढ़ाने और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का भी माध्यम है। साथ ही कहा जाता है कि, यात्रा के दौरान भक्तजन भगवान की रथों को अपने हाथों से खींचते हैं, जिससे यह विश्वास जुड़ा है कि ऐसा करने से उनके सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रध्दालु पहुंचते हैं। इसके साथ ही लाल और पीले रंग से बने भगवान जगन्नाथ जी का यह रथ नंदीघोष कहलाता है, जिसका सारथी दारुक को बनाया जाता है।