‘जल प्रलय’ एक बार फिर देवभूमि में मलबे के ढेर में दफन हो गई कई परिवारों की खुशियां, देखें तबाही का ये मंजर

'जल प्रलय' एक बार फिर देवभूमि में मलबे के ढेर में दफन हो गई कई परिवारों की खुशियां, देखें तबाही का ये मंजर

‘जल प्रलय’ एक बार फिर देवभूमि में मलबे के ढेर में दफन हो गई कई परिवारों की खुशियां, देखें तबाही का ये मंजर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: February 9, 2021 8:26 am IST

साल 2013 के जून के महीने में आई आपदा को कोई भूल नहीं पाएगा। रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक ऐसी तबाही फैली थी कि देखने वालों की रूह भी कांप गई थी। 16 व 17 जून को आई इस आपदा में कई लोगों की जान चली गई। कई परिवारों को उनके चहितों के शव देखने भी नसीब नहीं हुए थे। इस आपदा के बाद एक बार फिर देवभूमि में कुदरत की विनाशकारी लीला देखने को मिली है।

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रविवार सुबह चमोली के जोशीमठ में ग्लेशियरे टूटने से धौलीगंगा नदी मे बाढ़ आ गई है। विनाशकारी लीला में एक बार कई परिवारों की खुशियां मलबे के ढेर में दफन हो गई। उत्तराखंड में आई तबाही में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 171 लोगों का सुराग नहीं मिला है। कई लोागों के बह जाने की आशंका है। रेस्क्यू तेज लाने के निर्देश दिए गए हैं। बीआरओ, सेना, आईटीबीपी के जवानों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। दूसरी ओर अभी भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है।

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कई गांव हुए प्रभावित

रविवार को आई आपदा से तपोवन, रिंगी, करछो, रैणी समेत कई गांव प्रभावित हुए। रैणी गांव में सोमवार सुबह जब मौके पर पहुंचे तो बचाव दल ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया था। अपनों की तलाश में आंसुओं से लाल हुई लोगों की आंखें जवानों के हौसले देख अपनों के जल्द मिल जाने की आस लगी हुई है। इसी उम्मीद में परिवार बचाव दल को निरहा रही है।

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तपोवन जल विद्युत परियोजना की मुख्य सुरंग (13 किमी बननी है) पर तपोवन और सेलंग से काम चल रहा था। सेलंग से मशीन से करीब छह किमी सुरंग बन चुकी हैए जबकि तपोवन की तरफ से मजदूर सुरंग बनाने में जुटे थे और तीन किमी सुरंग बन चुकी थी। इस सुरंग में कंपनी के 35 मजदूर और तीन इंजीनियर फंसे हैं।

वही, मलारी हाईवे पर रैणी गांव के पास मोटर पुल बह जाने के बाद 13 गांव अलग-थलग पड़े हुए हैं। प्रभावित गांवों में जिला प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से राशन किट बांटी और कई लोगों को रेस्क्यू कर दूसरे छोर तक पहुंचाया। जोशीमठ और मलारी क्षेत्र में फंसे 60 लोगों को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

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साल 2013 का वो मंजर…

रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक ऐसी तबाही फैली थी कि देखने वालों की रूह भी कांप गई थी। 16 व 17 जून को आई इस आपदा में कई लोगों की जान चली गई। कई परिवारों को उनके चहितों के शव देखने भी नसीब नहीं हुए थे। पूरे देश से लोग अपने करीबियों को देखने के लिए देव भूमि उत्तराखंड पहुंचे थे लेकिन सड़के बंद होने के कारण उन्हें निराश ही लौटना पड़ा था।

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रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक तबाही

मंदाकिनी और अतिवृष्टि में अचानक बाढ़ आ जाने से कई हजार श्रद्धालु सोनप्रयाग में फंस गए थे। पुलों के टूटने और सड़को के क्षतिग्रस्त हो जाने से लोग खुद का बचाकर निकालने में भी असमर्थ थे। हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। कई-कई दिनों तक लोग पहाड़ों पर फंसे रहे थे। लोगों को खाने और पीने के पानी के लिए भी मोहताज होना पड़ा था। पूरे देशभर से केदारनाथ में फंसे लोगों के लिए सामान इकट्ठा होकर जाया करता था। पूरे देशभर में आपदा के लिए चंदा इकट्ठा किया गया था।

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केदारनाथ आपदा इतनी बड़ी थी कि सिर्फ भारत ही नहीं विदेशई मीडिया ने भी इसे कवर किया। पीड़ितों की मदद करने के लिए आईटीबीपी के जवानों की प्रशंसा हुई। दुनिया के बड़े बड़े अखबारों ने केदारनाथ आपदा को दुनिया में होने वाली सबसे बड़ी आपदाओं में से एक बताया। केदारनाथ में आई तबाही मे सब कुछ तहस-नहस हो गया था।


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