सतह पर आई अहम की लड़ाई! क्या बिखरी एकता कराएगी भाजपा की सत्ता में वापसी? | Satah par aai Aham Ki ladai! Will scattered unity make BJP return to power?

सतह पर आई अहम की लड़ाई! क्या बिखरी एकता कराएगी भाजपा की सत्ता में वापसी?

सतह पर आई अहम की लड़ाई! क्या बिखरी एकता कराएगी भाजपा की सत्ता में वापसी?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : February 8, 2021/5:29 pm IST

रायपुर: भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ये बात विपक्ष कहे तो इसे सियासत करार दिया जाता है। कार्यकर्ता कहे तो सब कुछ ठीक है कहकर पर्दा डाल दिया जाता है, लेकिन गाहे-बगाहे कुछ ना कुछ ऐसा होता रहा है, जिसने पार्टी के भीतर आपसी खींचतान, अहम की लड़ाई, अनदेखी, उपेक्षा को सतह पर ला दिया है। ऐसा ही एक और वाक्या भाजपा में फिर हुआ है, जिसे लेकर कहा जा रहा है सतह पर आई, अहम की लड़ाई।

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ये हैं कुरुद से बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, जो अपने मुखर बयानों और बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार इनके तेवर का सामना पार्टी के ही प्रदेश महामंत्री भूपेंद्र सवन्नी को करना पड़ा। पूर्व मंत्री ने सवन्नी को खरी खोटी सुनाते हुए कहा, जाओ जाकर चमचागिरी करो, मुझसे जरा ठीक से बिहेव किया करो, वरना मैं तुम्हें ठीक कर दूंगा। ये पूरा वाक्या रविवार का है। जब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक लेने वाले थे,जिसकी सूचना अजय चंद्राकर को नहीं दी गई। इस बात से खफा पूर्व मंत्री ने सबकी मौजूदगी में सवन्नी को फटकार लगा दी। हालांकि पार्टी मानवीय भूल बता कर मामले को तूल देने से बच रही है।

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ये पहला मौका नहीं है छत्तीसगढ़ बीजेपी में किसी वरिष्ठ नेता ने इस तरह से सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया हो। इससे पहले वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने प्रदेश हाईकमान पर सवाल उठाते हुए बयान दिया था कि जिनकी वजह से हम 15 सीट में सिमट गए है। आज भी उन्हीं की चल रही है। वहीं जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने भी फेसबुक पर पोस्टकर संगठन और प्रदेश हाईकमान के प्रति नाराजगी जाहिर की थी, जिसका खामियाजा उन्हें आज भी भुगतना पड़ रहा है। हालांकि नई प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने कार्यभार संभालने के बाद पहला काम नेताओँ से संवाद कर पार्टी को एकजुट करने पर ही जोर दिया है। लेकिन उसके बाद भी बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी है, जिसपर चुटकी लेने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है।

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बहरहाल छत्तीसगढ़ बीजेपी में कितने धड़े और गुट हैं ये किसी से छिपा नहीं है। पार्टी के नेताओं में एक दूसरे को निपटाने का संघर्ष तब भी था जब पार्टी सत्ता में रही। लेकिन अब सत्ता छिन गई तो ज्यादा मुखर होकर सामने आ रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई पार्टी की प्रदेश इकाई में गड़बड़ है या ये नेताओँ की निजी भड़ास है। सवाल ये भी कि क्या बिखरी एकता कराएगी सत्ता में वापसी ? प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन गुटों के बीच अहम की लड़ाई से ये तो साफ है कि फिलहाल बीजेपी कोई भी सबक लेने के मूड में नहीं है।

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