मुंबई, 16 दिसंबर (भाषा) भारत की महिला टीम के मुख्य कोच अमोल मजूमदार ने कहा है कि अपने खेलने के दिनों में उन्होंने कभी रातों की नींद नहीं गंवाई लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ महिला एकदिवसीय विश्व कप मैच में जीत जरूरी थी जिससे वह दबाव में थे और मुकाबले से पहले अच्छी तरह नहीं सो पाए।
लगातार तीन हार के साथ भारत पर स्वदेश में हो रहे विश्व कप से समय से पहले बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था लेकिन टीम ने डकवर्थ-लुईस पद्धति से न्यूजीलैंड को 53 रन से हराकर सेमीफाइनल का उपलब्ध अंतिम स्थान अपने नाम किया।
इसके बाद भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में सात बार के चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपना पहला विश्व कप जीता।
मजूमदार ने सोमवार को बॉम्बे जिमखाना में एक सम्मान समारोह के दौरान याद करते हुए कहा, ‘‘मुंबई के लिए अपने (प्रथम श्रेणी) पदार्पण से पहले पहले एक भी रात मेरी नींद नहीं उड़ी क्योंकि कडू भाई (भारत के पूर्व खिलाड़ी करसन घावरी) मेरे मैनेजर थे। मुझे पता था कि वह इसका ख्याल रखेंगे।’’
मजूमदार ने कहा कि सेमीफाइनल में जेमिमा रोड्रिग्स की नाबाद 127 रन की पारी निर्णायक मोड़ रही जिसने भारत को प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतने का आत्मविश्वास दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘आप ऐसा कह सकते हैं (ऑस्ट्रेलिया को हराना निर्णायक मोड़ था)।’’
मजूमदार ने कहा, ‘‘न्यूजीलैंड मैच से पहले कुछ दिन रातों की नींद उड़ गई थी क्योंकि वह मैच हर हाल में जीतना था। हमारा हमेशा से मानना था कि अगर हमें विश्व कप जीतना है तो हमें कहीं न कहीं ऑस्ट्रेलिया को हराना होगा या तो सेमीफाइनल में या फाइनल में।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी उस मैच के लिए तैयार थे लेकिन जेमिमा की पारी अभूतपूर्व थी…मुझे लगता है कि युगों-युगों में एक बार खेली जाने वाली पारी।’’
मजूमदार ने कहा कि विश्व कप जीतने का क्षण अब भी अवास्तविक लगता है।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप जीतना एक अवास्तविक क्षण रहा है और इसने मेरे सहित भारत में कई क्रिकेटरों के जीवन को बदल दिया है।’’
उन्होंने कहा कि जीत के बाद भारत के पूर्व खिलाड़ियों को विश्व कप ट्रॉफी देने का विचार कप्तान हरमनप्रीत कौर का था।
कोचिंग में तकनीक पर चर्चा करते हुए मजूमदार ने महान रमाकांत आचरेकर को याद किया जो उनके पूर्व कोच भी थे।
मजूमदार ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैं आचरेकर सर को हर रोज याद करता हूं। वह एक प्रतीक थे…उनकी इसे (कोचिंग) करने की एक अलग शैली थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज लैपटॉप है। उस समय शायद एक छोटी सी चिट थी और वह कुछ लिखते थे। बस यही अंतर है। मुझे लगता है कि वह अपने समय से आगे थे।’’
भाषा सुधीर
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