हॉकी अब ‘पावर गेम’ बन गया है, एस्ट्रोटर्फ से खिलाड़ियों को फायदा होगा: अशोक ध्यानचंद

हॉकी अब ‘पावर गेम’ बन गया है, एस्ट्रोटर्फ से खिलाड़ियों को फायदा होगा: अशोक ध्यानचंद

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  • Publish Date - December 24, 2025 / 10:07 PM IST,
    Updated On - December 24, 2025 / 10:07 PM IST

कोटा (राजस्थान), 24 दिसंबर (भाषा) पूर्व भारतीय कप्तान अशोक कुमार ने बुधवार को कहा कि आधुनिक हॉकी अब शक्ति आधारित खेल बन चुकी हैं जिसमें शारीरिक मजबूती और महंगे उपकरणों का दबदबा है तथा पारंपरिक और कलाई के कौशल पर आधारित हॉकी का दौर अब लगभग खत्म हो चुका है।

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित और हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार यहां संग्राम सिंह हॉकी कप में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।

अशोक कुमार ने कहा, ‘‘वह पारंपरिक और कलात्मक हॉकी का दौर था जो कलाई के दम पर खेली जाती थी। आज की हॉकी कंधों से खेली जाती है। हम इसे ‘पावर हॉकी’ कहते हैं। और अब यह ऐसा खेल बन गया है जिसमें हर चीज बहुत महंगी हो गई है। हमारे समय में हम बहुत कम साधनों के साथ खेलते थे। ’’

क्रिकेट से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि लड़कों को अब भी खेलना शुरू करने के लिए सिर्फ एक बल्ले, एक गेंद और कुछ स्टंप की जरूरत होती है लेकिन हॉकी के लिए अब एस्ट्रोटर्फ सुविधाओं की जरूरत होती है जो शहरों और कॉलेजों में तेजी से कम होती जा रही हैं।

हॉकी विश्व कप 1975 जीतने वाली टीम के सदस्य अशोक कुमार ने राज्य और केंद्र सरकारों से जमीनीं स्तर पर हॉकी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए हर जिले को एस्ट्रोटर्फ और कृत्रिम मैदान उपलब्ध कराने की अपील की।

उन्होंने देश भर में खिलाड़ियों को तैयार करने वाले स्थानीय क्लबों और टूर्नामेंटों की विरासत को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्रशासकों और सभी संबंधित हितधारकों की भी बताई।

अशोक कुमार ने संग्राम सिंह हॉकी कप के 29वें संस्करण पर खुशी जताते हुए कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं खेल के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

कोटा में अपने समय को याद करते हुए अशोक कुमार ने कहा कि शहर ने उनकी हॉकी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा, ‘‘हॉकी हमारी विरासत है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं, साथ ही चार कांस्य और एक रजत पदक भी। छोटे टूर्नामेंट ही महान खिलाड़ी पैदा करते हैं और हमें उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है। ’’

भाषा नमिता

नमिता