बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक बड़ा निर्णय देते हुए 39 परीक्षार्थियों को बिना छत्तीसगढ़ पीएससी प्रीलिम्स क्लीयर किए, मेन्स एग्जाम में बैठने की अनुमति दी है। हालांकि इन परीक्षार्थियों का रिजल्ट और पीएससी की नियुक्तियां सभी कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी।
आलेख निषाद, विनय अग्रवाल सहित अन्य परिक्षार्थियों ने पीएससी प्रीलिम्स के माडल आंसर के 28 सवाल और जवाबों को चैलेंज किया था। कोर्ट के आदेश के बाद सवाल-जवाब को जांचने के लिए दूसरी एक्सपर्ट कमेटी बनाई, लेकिन दूसरी एक्सपर्ट कमेटी ने सवाल-जवाब में कोई परिवर्तन नहीं किया। पहले के माडल आंसर को यथावत रखा, इससे रिजल्ट में भी कोई बदलाव नहीं हुआ।
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इसके बाद फिर याचिकाकर्ताओं ने दूसरी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को भी चैलेंज कर दिया। इसी बीच 22 जून को पीएससी मेन्स का एग्जाम होना है, लिहाजा कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को शुक्रवार को होने वाली मेन्स एग्जाम में शामिल होने की छूट दी है। साथ ही कहा है कि इनका रिजल्ट और पीएससी की नियुक्तियां हाईकोर्ट के फैसले से बाधित रहेंगी।
छत्तीसगढ़ पीएससी ने 18 फरवरी 2018 को 290 से अधिक विभिन्न पदों के लिए प्रारंभिक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इसके चार दिन बाद 22 फरवरी को परीक्षा के माडल आंसर जारी कर दिए गए। इन उत्तरों को लेकर दावा आपत्ति भी मंगवाई गई और 7 अप्रैल को संशोधित माडल आंसर भी जारी कर दिए गए। इसके बाद रिजल्ट जारी किए गए।
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इस पूरी प्रक्रिया से असंतुष्ट याचिकाकर्ता विनय अग्रवाल, अमित विश्वास व अन्य ने कहा कि पहले जारी किए गए और संशोधित माडल आंसर में फर्क है। इसमें जीएस के 6 प्रश्न और एप्टिट्यूड के 5 प्रश्नों के उत्तर दूसरे हैं या विलोपित कर दिए गए हैं। यदि रिजल्ट पहले के माडल आंसर के अनुसार निकाला जाता तो उनका सलेक्शन हो जाता। बाद में इसमें दूसरे परीक्षार्थियों ने 17 सवाल व जवाब और जोड़ दिए।
वेब डेस्क, IBC24